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लालू प्रसाद यादव

हमें फॉलो करें लालू प्रसाद यादव
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लालूप्रसाद यादव का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवारिया में 11 जून 1948 को यादव परिवार में हुआ। माता का नाम मराछिया देवी और पिता कुंदन राय थे। पहली से सातवीं तक की स्कूली शिक्षा गोपालगंज के बिहार मिलिट्री पुलिस नं.-5 मिडिल स्कूल में प्राप्त की।

बिहार विश्वविद्यालय से वकालत में स्नातक किया। पश्चात पटना विश्वविद्यालय के ही बी.एन. कॉलेज पटना से राजनीति विज्ञान की स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसी विश्वविद्यालय ने 2004 में लालू यादव को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।

लालू यादव ने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में रुचि लेना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने जयप्रकाश नारायण, राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सतेन्‍द्र नारायण सिन्‍हा से प्रभावित होकर उन्होंने छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया और 1970 में पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा बिहार राज्य जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने लोकसभा के लिए उन्हें समर्थन दिया और उनके पक्ष में अभियान भी चलाया। लालू यादव 29 की आयु में जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए। भारतीय संसद के इस सदन के लिए चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के सदस्य थे।

अगले 10 वर्ष की अवधि में लालू यादव बिहार की राजनीति में एक दिग्गज के रूप में उभरे। 1989 में आम चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बिहार में सफलतापूर्वक नेशनल फ्रंट गठबंधन का नेतृत्व किया। 1990 के दशक में विश्व बैंक ने आर्थिक मोर्चे पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए पार्टी की सराहना की।

लालू यादव पहली बार 10 मार्च 1990 तथा दूसरी बार 1997 में बिहार प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने। 1997 में लालू यादव ने जनता दल से किनारा कर, अपनी अलग पार्टी 'राष्ट्रीय जनता दल' बनाई और पार्टी अध्‍यक्ष बने।

भारत के सबसे सफल रेलमंत्रियों में से एक लालूप्रसाद यादव बिहार के बड़े राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। 1986 में बीबीसी समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बिहार में रु.950 करोड़ के चारा घोटाले का पता लगाया।

जांच में बताया गया कि इस घोटाले में कथित तौर पर लालू यादव और राज्य के प्रमुख नौकरशाह व अनेक राजनेता शामिल थे। इस तरह चारा घोटाले से पिछले करीब 17 वर्षों से बचते आ रहे लालूप्रसाद यादव को रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 3 अक्‍टूबर 2013 को 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ 5 साल की सजा सुना दी।

कोर्ट ने लालू यादव को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 68 लाख रुपए गबन करने के आरोप में दोषी पाया था। कुछ लोगों ने इसे अभूतपूर्व राजनीतिक सफलता को रोकने के लिए विपक्ष का षड्यंत्र बताया। चारा घोटाले के दबाव के चलते लालू यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए, उन्होंने उक्त पद पर उत्तराधिकारी के रूप में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बैठाया।

कोर्ट ने लालू सहित 45 आरोपियों को भी इस मामले में दोषी करार दिया है। अब लालू यादव का राजनीतिक जीवन खतरे में पड़ गया है क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के चलते उन्हें अपनी पार्टी की सदस्यता हाथ धोना पड़ा। अब लंबे समय तक लालू लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। गौरतलब है कि 3 अक्‍टूबर को कोर्ट लालू को 5 साल की सजा सुनाई गई।

पुलिस ने उन्‍हें हिरासत में ले लिया और रांची स्थित बिरसा मुंडा जेल भेज दिया है। लालू ने झारखण्ड हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसके खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से उनकी जमानत याचिका मंजूर की गई। अंतत: 3 अक्टूबर 2013 से जेल में बंद लालू को 16 दिसंबर 2013 को जमानत मिल गई।

2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने और रेलवे को काफी मुनाफा दिलवाया। 2009 में एक बार फिर वे लोकसभा के लिए चुन लिए गए।

इससे पहले लालू प्रसाद 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं तथा 2004 में वे पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। 2002 में छपरा संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में वे दूसरी बार लोकसभा सदस्‍य बने।

1 जून 1973 को राबड़ी देवी से विवाह हुआ। उनकी 7 बेटियां और 2 बेटे हैं। लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्‍व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं। उनकी रुचि सामाजिक कार्यों के साथ खेलों में भी रही है। 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं। उनका बड़ा बेटा तेजप्रताप बिहार क्रिकेट रणजी टीम का सदस्‍य है।

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