Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

देश के मन में मोदी...

- गाजियाबाद से दीपक असीम

हमें फॉलो करें देश के मन में मोदी...
, सोमवार, 31 मार्च 2014 (12:35 IST)
घर छोड़े हुए दस दिन हो गए हैं। इस बीच हज़ारों किलोमीटर का सफर तय किया है और सैकड़ों लोगों का मन कुरेदा है। पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण- सबके मन में मोदी हैं। देश की हिंदी पट्‌टी का तो कम से कम यही हाल है। लोग स्थानीय उम्मीदवार पर तो ध्यान ही नहीं दे रहे। कहते हैं इस बार मोदी के लिए वोट भाजपा को देना पड़ेगा।

गाजियाबाद में भी कई लोगों से बातें हुईं। सब कहते हैं कि जनरल वीके सिंह यूं तो बाहरी उम्मीदवार हैं, पर हमें उनकी परवाह नहीं। राज बब्बर कौन से अपने हैं। वे भी बाहरी हैं। रही बात सपा और बसपा को वोट देने की, तो इसका कोई मतलब नहीं। अगर इन लोगों को ज्यादा सीटें आईं तो ये प्रधानमंत्री तो नहीं बन सकते। हां सौदेबाजी जरूर करेंगे। रेल में झारखंड के भी लोग मिले और बंगाल के भी। झारखंड में भी मोदी की ही तूती बोल रही है। जो इलाके पहले से भाजपा वाले हैं, वहां तो भाजपा की जीत होती दिख ही रही है, मगर इस बार कुछ अहिंदी भाषी इलाके भी भाजपा के हो सकते हैं।

यहां यूपी में तो लोग कांग्रेस का नाम ही नहीं लेते। इसका कारण यह है कि मोदी ने खुद को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करके लोगों का दिल जीत लिया है। नेतृत्वविहीनता से लोग मोदी के नेतृत्व को बेहतर समझ रहे हैं। अरविंद केजरीवाल का नाम मोदी के बरअक्स लिया जाता है। दिक्कत यह है कि आम आदमी पार्टी का न तो संगठन पूरे देश में है और न कार्यकर्ता। फिर लोग अरविंद केजरीवाल से नाराज हैं कि उन्होंने कुर्सी छोड़ दी।

सैकड़ों लोगों ने अलग-अलग शब्दों में यही कहा कि वहीं जमे रहना था, लड़ना था, भिड़ना था, पर कुर्सी नहीं छोड़नी थी। एक कहावत है कि मेरी मां ने खसम किया, बुरा किया और कर के छोड़ दिया सो और बुरा किया। सबसे पहले कांग्रेस से समर्थन लेकर आम आदमी पार्टी ने गड़बड़ की और फिर सरकार छोड़कर और बड़ी गड़बड़ कर दी। लोग आम आदमी पार्टी को विकल्प के रूप में देखने लगे थे, मगर इस पार्टी की हवा निकल गई है।

क्यों नहीं है शाजिया इल्मी की हलचल... पढ़ें अगले पेज पर...


webdunia
FILE
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में उनकी बड़ी नेता शाजिया इल्मी लड़ रही हैं, मगर कहीं कोई हलचल नहीं है। गाजियाबाद में पैर धरे 8 घंटे हो गए हैं। तीन बार बाज़ार के लिए निकला हूं। सपा के लोग दिखे, बसपा के दिखे, कांग्रेस-भाजपा के झंडे बैनर दिखे, मगर आम आदमी पार्टी का कहीं कोई अता-पता नहीं।

राहुल गांधी को लोग जिम्मेदारी से भागने वाला मानते हैं। जब यूपी विधानसभा के चुनाव हुए, तो उन्हें घोषित करना था कि यदि कांग्रेस को आप जिताएंगे तो मैं यूपी का मुख्यमंत्री पद संभालूंगा। ऐन यही घोषणा अखिलेश ने की और देखिए कि लोगों ने सपा को जिताया। प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से खिसकने को जनता ठीक तरीके से नहीं देख रही।

दूसरी तरफ मोदी ने सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है। अगर वे प्रधानमंत्री नहीं बन पाए तो सबसे ज्यादा जगहंसाई उनकी होगी। इसे इस तरह समझिए कि केजरीवाल ने जिस तरह शीला दीक्षित के खिलाफ खुद चुनाव लड़ कर एक संदेश दिया था, वैसा ही संदेश मोदी ने भी दिया है। अरविंद केजरीवाल ने भी खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया। नतीजा यह है कि मोदी अकेले हैं और उनके सामने कोई भी नहीं है।

ऐसा लगता है कि भाजपा की तरफ से अकेले मोदी पूरे देश से चुनाव लड़ रहे हैं। हर शहर में स्थानीय उम्मीदवार बैनर पोस्टर में मुश्किल से नजर आता है। मोदी ही सब जगह छाए हैं। इसका लाभ भाजपा को यह मिल रहा है कि दूसरी पार्टियों के स्थानीय उम्मीदवारों का मुकाबला जनता मोदी से करती है और मोदी के सामने सभी बहुत बौने हैं।

जनरल सिंह के पोस्टर कम हैं, लेकिन... पढ़ें अगले पेज पर...


webdunia
FILE
जनरल वीके सिंह जैसे दबंग आदमी के बैनर पोस्टर भी यहां गाजियाबाद में बहुत कम हैं। चारों तरफ मोदी के ही बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं। इस बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने जा रही है। पूर्ण बहुमत मिलेगा या नहीं, यह कोई नहीं बता सकता, मगर इतना तय है कि सभी जगह का मतदाता मोदी के साथ है। मोदी के होर्डिंग और उनका टीवी प्रचार लोगों के दिल में बैठ चुका है। सब यही समझ रहे हैं कि मोदी आएंगे और आते ही जादू हो जाएगा। बेरोज़गारी मिट जाएगी, महंगाई कम हो जाएगी, नौकरियां मिलने लगेंगी, अपराध कम हो जाएंगे।

वाकई ऐसा प्रचार पहले कभी किसी चुनाव में नहीं हुआ। यहां गाजियाबाद में राजनाथ पिछले सांसद थे। काम उन्होंने भी धेले का नहीं किया। इस बार फिर भाजपा ने बाहरी उम्मीदवार उतारा है। मगर लोग बिल्कुल भी नाराज नहीं हैं। वे इस बार भाजपा को नहीं मोदी को वोट देने जा रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi