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पराजय मंजूर, लेकिन धर्म के नाम पर वोट नहीं: नरेंद मोदी

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नई दिल्ली , शनिवार, 19 अप्रैल 2014 (18:06 IST)
नई दिल्ली। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें चुनाव में भले ही पराजय का सामना करना पड़े, लेकिन वह धर्म के आधार पर वोट नहीं मांगेगे। उन्होंने कहा कि उनकी अपील देश के सभी 125 करोड़ लोगों से है। पूरा देश एक है। उसे (देश को) धर्म, संप्रदाय के आधार पर बांटकर सत्ता में पहुंचना ध्येय नहीं।

एक न्‍यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने जोर दिया कि वह किसी समुदाय से वोट के लिए विशेष अपील नहीं करेंगे क्योंकि वह देश के 125 करोड़ लोगों की एकजुटता में विश्वास करते हैं और वह चुनाव से पहले की ऐसी राजनीतिक गतिविधियों को परास्त करने में गुरेज नहीं करेंगे।

सोनिया गांधी की दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम से मुलाकात पर भाजपा के विरोध करने लेकिन राजनाथ सिंह के लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि मुलाकात पर कोई आपत्ति नहीं थी बल्कि इससे जो संदेश जा रहा था, उस पर आपत्ति थी।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि हम चाहते हैं कि सोनियाजी मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, किन्हीं से भी मिलें। यह लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन एक विशेष समुदाय से वोट देने को कहा जाता है। यह संविधान और चुनाव संबंधी कानून के खिलाफ है। मिलने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इससे जो संदेश बाहर आया, वह चिंता का विषय है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह वाराणसी में मुसलमानों से अपील करेंगे, जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं, मोदी ने कहा कि मैं हिन्दुओं या मुसलमानों से कोई अपील नहीं करूंगा लेकिन भारत की 125 करोड़ जनता से करूंगा। अगर उन्हें लगता है कि यह सही है तो अच्छा है। लेकिन उन्हें उपयुक्त नहीं लगता है तब मैं चुनाव में पराजय का सामना करने को तैयार हूं। मैं पूरी तरह से सफाए के लिए भी तैयार हूं। मोदी ने कहा कि मेरा मंत्र है, सब लोग समान हैं। मैं धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश के भाइयों में विभाजन स्वीकार नहीं कर सकता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश को बांट दिया गया है।

आरएसएस के बारे में एक सवाल पर मोदी ने इसे ऐसा सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) बताया जो देश के लिए नि:स्वार्थ भाव से सेवा करता है और कहा कि इसकी शक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि यह (आरएसएस) सांस्कृतिक संगठन है लेकिन इसे निशाना बनाना फैशन बन गया है। जब भी कांग्रेस हार के कगार पर होती है तब आरएसएस पर हमला करती है। खबरों के कारोबारियों और निहित स्वार्थी तत्वों ने आरएसएस को काफी नुकसान पहुंचाया है। आरएसएस को राजनीतिक बहस में घसीटना अन्याय है।

राजनीति में अपराधीकरण के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो सभी जीतने वाले उम्मीदवारों का हलाफनामा उच्चतम न्यायालय को सौंपा जायेगा और यह आग्रह किया जाएगा कि इनके खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटारा किया। इसके बाद राज्य स्तर पर भी इसे अपनाया जा सकता है।

और क्या बोले मोदी, अगले पन्ने पर..


भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि अगर वह सत्ता में आए तो वह पुराने मामलों का निपटारा करने से पहले भविष्य में भ्रष्टाचार रोकने को प्राथमिकता देंगे। मोदी ने यह भी कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई ‘प्रोफेशनल’ आरोप लगते हैं तो वह उसकी जांच का सामना करने को तैयार होंगे। मोदी ने यह भी कहा कि वह पराजय का सामना करने को तैयार है लेकिन व्यक्तित्व आधारित राजनीति नहीं करेंगे। मोदी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री बनने पर किसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगने की स्थिति में जांच का सामना करने को तैयार होंगे।

राजनीति के अपराधिकरण से निपटने के बारे में मोदी ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय से एक ऐसा तंत्र बनाने का आग्रह करेगी, जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की तेजी से सुनवाई हो सके।

भ्रष्टाचार को ‘रोग’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि वह ऐसा तंत्र बनाएंगे जिससे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

मोदी ने कहा कि मेरी प्राथमिकता एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की होगी जिसके जरिये भ्रष्टाचार की संभावना को कम किया जा सके। हमें यह निर्णय करना है कि क्या मुझे नये भ्रष्टाचार को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या पुरानी गंदगी को साफ करना चाहिए। मेरी अंतरात्मा कहती है कि मेरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होना चाहिए कि नयी गंदगी (भ्रष्टाचार) न हो।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि हमें यह निर्णय करना है कि क्या मुझे अपनी उर्जा नये भ्रष्टाचार को रोकने में लगानी चाहिए या पुरानी गंदगी को साफ करने में समय बर्बाद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसा तंत्र तैयार करूं जो प्रौद्योगिकी पर आधारित हो और उसमें पारदर्शिता और सभी निरोधात्मक उपाए हों, तब हम संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपट सकेंगे। यह राजनीतिक नहीं होना चाहिए अन्यथा इसका मकसद विफल हो जाएगा और यह रोग बढ़ता ही जाएगा। इस सवाल पर कि प्रधानमंत्री के तौर पर उनके खिलाफ अगर कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब वह कैसे निपटेंगे, मोदी ने कहा कि प्रोफेशनली अगर मेरे खिलाफ कोई आरोप लगते हैं तब ऐसे मामलों (की जांच) को रुकना नहीं चाहिए बल्कि इसे जारी रहना चाहिए। मोदी को उसे नहीं रोकना चाहिए। (एजेंसी)

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