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निडर नरेंद्र

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उमा सैन

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नरेंद्र प्रतिदिन एक बगीचे में घूमने जाया करता था। प्रतिदिन बगीचे में जाने से वहाँ का माली भी उसे पहचानने लगा था। एक दिन बगीचे का माली दो-तीन व्यक्तियों के साथ बैठकर बात कर रहा था कि बगीचे में जो पीपल का पेड़ है उस पर रात को भूत आते हैं। पास में बैठे नरेंद्र ने भी उनकी बातें सुनी तो उसके मन में भी भूत को देखने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई और वह शाम को ही पेड़ के पास जाकर बैठ गया।

अँधेरा बढ़ता जा रहा था। आधी रात हो जाने पर भी नरेंद्र निडर होकर बैठा रहा और भूत की प्रतीक्षा करता रहा लेकिन सुबह तक वहाँ कोई भूत नहीं आया।

सुबह होते ही जब माली बगीचे में आया तो नरेंद्र को वहाँ बैठा देखकर बोला कि - 'तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे हो?' नरेंद्र बोला - आप कल कह रहे थे कि रात में पीपल के पेड़ पर भूत आता है। मैं तो कल शाम से ही उसकी प्रतीक्षा में बैठा हूँ, किंतु यहाँ कोई भी नहीं आया।'

माली नरेंद्र की यह बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गया। वह सोच रहा था कि इतना छोटा बच्चा और ‍इतना निडर! आज तक हम बड़े यहाँ अकेला रुकने का साहस नहीं कर पाए और इस छोटे से बालक ने पूरी रात यहाँ बिता दी। यह निडर बालक कोई और नहीं स्वामी विवेकानंद थे। बच्चो, इस घटना के माध्यम से उन्होंने यह भी बता दिया ‍कि भूत-वूत सब काल्पनिक चीजें हैं और इनसे डरना नहीं चाहिए।

साभार : देवपुत्र

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