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हौसलों से भरी एक उड़ान

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- राजीव शर्मा
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फलक को जिद है जहाँ बिजलियाँ गिराने की, हम भी तमन्ना रखते हैं वहीं आशियाँ बनाने की। जी हाँ ऐसा ही कर दिखाया है गाजियाबाद के छोटे से गाँव मंडोला की रहने वाली अरुणा भारद्वाज ने। बचपन से आँखों में पले पायलट बनने के ख्वाब को उसने अपनी मेहनत और लगन से साकार कर दिखाया।

अरुणा ने हाल ही में भारतीय नौ सेना में बतौर सब-लेफ्टिनेंट ज्वाइनिंग कर जनपद का नाम देशभर में रोशन किया है। उन्होंने गाजियाबाद जिले की पहली और प्रदेश की दूसरी महिला पायलट बनकर प्रदेश का नाम देश भर में रोशन किया है।

बचपन में कागज के जहाज बनाकर आसमान की ओर उड़ाने वाली अरुणा अब देश की सेवा के लिए सेना के विमानों को खुले आसमान में उड़ाने लगी हैं। 22 मई को उसे भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया है। शुरू से होनहार रही अरुणा ने ठान लिया था कि उसे सेना में ही जाकर देश सेवा करनी है।

मेरठ सेंट्रल स्कूल से 12वीं पास करने के बाद उसने मेरठ के एनएएस कॉलेज से बीएसी और बाद में गाजियाबाद के एमएमएच कॉलेज से एमएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएड की। हालाँकि सेना में ही सिलेक्शन होने की वजह से उसे बीएड पूरे होने से दो माह पहले ही छोड़नी पड़ी।

सेना शिक्षा कोर में अनुदेशक पद से रिटायर हो चुके अनिल कुमार भारद्वाज और माँ राज भारद्वाज की छोटी बेटी अरुणा ने वर्ष 2008 में सेना में भर्ती होने के लिए तीन परीक्षाएँ दीं, तीनों में ही उसका चयन हो गया। इनमें से उसने नेवल एवियेशन को अपने करियर के रूप में चुना। अरुणा का कहना है कि उसकी प्रेरणा के स्रोत उसके दादा स्वर्गीय मास्टर विक्रमादित्य शर्मा और उनके पिता हैं।

नौ सेना में चयन होने के बाद ट्रेनिंग पर जाने के चंद दिनों बाद ही दादा का निधन हो गया। 17 महीनों की कठिन चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण के दौरान उसने उड़ान से जुड़े तथ्यों, नियमों और युद्ध कौशल की बारीकियों को समझा। 9 मई 2009 को आईएनएस मांडवी में पासिंग आउट परेड में दक्षिण नेवल कमांड के चीफ वाइस एडमिरल एसके दामले ने अरुणा को सब-लेफ्टिनेंट का रैंक प्रदान किया।

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उन्होंने उसे 'प्रेजि‍डेंट सिल्वर मेडल' से भी नवाजा। 22 मई 2010 को उसे नौ सेना में शामिल किया गया। आइएनएस गरुड में आयोजित भव्य समारोह में सब-लेफ्टिनेंट अरुणा को 'विंग्स' प्रदान किए गए। प्रशिक्षण के दौरान उसे 'बेस्ट इन फ्लाइंग' 'बेस्ट इन ग्राउंड सब्जेक्ट्स' व 'बेस्ट इन ओवर ऑल ऑब्जरवर' अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

अरुणा की तैनाती फिलहाल मैरी टाइम एयर क्राफ्ट के बेड़े में निगरानी विमान पर्यवेक्षक के रूप में की जाएगी। अरुणा का कहना है कि वह अपना जीवन देश सेवा को समर्पित करना चाहती थी। माता-पिता का स्नेह और मेहनत से उसने इस मुकाम को हासिल किया। मन में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई मुसीबत आड़े नहीं आती। अरुणा को सर्वजन सुखायः सेवा समिति ने शीघ्र ही सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

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