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चलो, रस्‍सी कूदें

रस्सी कूदने के फायदे और कायदे

हमें फॉलो करें चलो, रस्‍सी कूदें
- टीना अग्रवा
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बचपन में हम सभी ने 'टग ऑफ वॉर' एक न एक बार तो जरूर खेला है। दोनों तरफ दो टीमें और बीच में एक बड़ी-सी रस्सी। दोनों तरफ से खिंचम-खिंची। कभी इधर से जोर ज्यादा तो कभी उधर से। कहाँ खो गए आप! लौट आइए बचपन की यादों से। आप सोच रहे होंगे कि ये रस्साकशी की बात हमने क्यों छेड़ी?

आज हम रस्साकशी की नहीं, बल्कि उस रस्सी की बात करेंगे, जिसे आपने बचपन से जवानी तक तरह-तरह से उपयोग किया है। तब ये खेल में काम आती थी, अब सेहत बनाने में। जमाना बदलने के साथ चुस्त और स्मार्ट लोगों को अधिक पसंद किया जाने लगा है और व्यायाम से सदैव चुस्त-तंदुरुस्त रहा जा सकता है। फिर अगर वो व्यायाम रस्सी कूदना हो तो कहना ही क्या! सेहत बनाने का सबसे सस्ता, सरल और सुगम उपाय।

कद बढ़ाना हो या शरीर को टोनअप करना, वजन घटाना हो या मांसपेशियाँ मजबूत करना, बुजुर्गों ने हमें बचपन से रस्सी कूदने की ही सलाह दी है। अगर आपने अब तक उस सलाह पर अमल नहीं किया है, तो अभी भी देर नहीं हुई है। रस्सी लीजिए और चल दीजिए घर के बगीचे में या छत पर। और हाँ, जाने से पहले एक बार अच्छे से जान-समझ लीजिए, रस्सी कूदने के कायदों और फायदों को।

कायदे
* शुरुआत में कभी भी तेजी से रस्सी न कूदें। पहले मिनट रस्सी धीरे-धीरे कूदें। दूसरे मिनट तक आपका शरीर गर्म हो जाएगा। फिर आप तेजी से रस्सी कूद सकते हैं। वॉर्मअप किए बगैर कूदने से शरीर में हल्का दर्द हो सकता है।

* रस्सी कूदने के बाद पाँच मिनट के लिए आराम करें या शवासन में लेट जाएँ।

* आधे घंटे के बाद हल्का-फुल्का भोजन जैसे-अंकुरित चने या मूँग, सेब, केला, दूध, नींबू पानी या जूस का सेवन करें।

* कूदने के लिए प्लास्टिक की रस्सी का इस्तेमाल करें। यह मुड़ती नहीं है।

फायदे
* जल्दी-जल्दी साँस लेने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

* पैरों और जाँघों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

* रस्सी कूदने से पेट भी अंदर-बाहर की ओर सिकुड़ता-फैलता है। इससे पेट पर चढ़ी अतिरिक्त चर्बी छँट जाती है।

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* कंधों को बार-बार घुमाने से चर्बी घटने के साथ ही बाजू गोल व सुडौल बनते हैं।

* कलाई के घुमाव से ऊँगलियों के काम करने की क्षमता बढ़ती है, जो लेखकों व कलाकारों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है।

* शारीरिक संतुलन बढ़ता है।

आप न आजमाएँ

* उच्च रक्तचाप के रोगी यह व्यायाम न करें।

* सिजेरियन के तीन महीने बाद डॉक्टर की सलाह से रस्सी कूदें।

* हर्निया के रोगी इसे न आजमाएँ।

* जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है, वे भी इस व्यायाम को न करें।

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