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विश्व हास्य दिवस : 3 मई

स्वस्थ रहना है तो हँसते रहें

हमें फॉलो करें विश्व हास्य दिवस : 3 मई
-डॉ. अरुण जै
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हँसी जीवन का प्रभात है, यह शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। हँसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है।

शरीर में पेट और छाती के बीच में एक डायफ्राम होता है, जो हँसते समय धुकधुकी का कार्य करता है। फलस्वरूप पेट, फेफड़े और यकृत की मालिश हो जाती है। हँसने से ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है। नियमित रूप से खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है।

लखनऊ के रेलवे स्टेशन से आदमी बाहर निकलता है तो बड़े अक्षरों में लिखे बोर्ड पर नजर टिकती है- 'मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं'। यह वाक्य पढ़ते ही यात्रियों के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल जाती है। इस एक वाक्य में लखनऊ की जिंदादिली व खुशमिजाजी के दर्शन होते हैं। हँसना एक मानवीय लक्षण है, सृष्टि का कोई भी जीवधारी नहीं हँसता लेकिन एक हम मनुष्य ही हँसने वाले प्राणी हैं, जीवन में निरोगी रहने के लिए हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। खाना खाते समय मुस्कुराइए, आपको महसूस होगा कि खाना अब अधिक स्वादिष्ट लग रहा है।

थैकर एवं शेक्सपियर जैसे विचारकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है और वह है चेहरे पर खिली प्रसन्नता।

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हँसने के लाभ
शरीर में पेट और छाती के बीच में एक डायफ्राम होता है, जो हँसते समय धुकधुकी का कार्य करता है। फलस्वरूप पेट, फेफड़े और यकृत की मालिश हो जाती है। हँसने से ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है। नियमित रूप से खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। जोर से कहकहे लगाने से पूरे शरीर में प्रत्येक अंग को गति मिलती है, फलस्वरूप शरीर में मौजूद एंडोफ्राइन ग्रंथि (हारमोन दाता प्रणाली) सुचारु रूप से चलने लगती है, जो कि कई रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हँसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं। हँसना सभी के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं।

दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है। आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट व हँसी को भूलता जा रहा है,फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ जैसे- उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि बहुत-सी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है।

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