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इंटरनेट : सेक्स की पाठशाला

सेक्स ज्ञान कहाँ से लेते हैं बच्चे

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भारतीय किशोर सेक्स ज्ञान में पूरी तरह परिवक्व नहीं हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें सेक्स ज्ञान अपने अभिभावकों से नहीं बल्कि इंटरनेट या फिर मीडिया के माध्यम से मिलता है। यह बात 25वें नेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑफ सेक्सोलॉजी में सामने आई है।

सम्मेलन में डीवाय पाटिल मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. नीलम राणे ने एक रिपोर्ट 'सेक्सुअल हेल्थ एजुकेशन बाय अरबन इंडियन पैरेंट्स' जारी की। इसमें 15 से लेकर 19 वर्ष तक के 3000 किशोरों से की गई बातचीत के निष्कर्षों का उल्लेख है। रिपोर्ट का उद्देश्य किशोरों से सेक्स संबंधी जिज्ञासाओं को जानना था।

डॉ. राणे के नेतृत्व वाले दल और विशेषज्ञों ने पाया कि 42 प्रतिशत छात्र सेक्स संबंधित ज्ञान का पहला पाठ 11 से 15 वर्ष की आयु में सीखते हैं। केवल आठ प्रतिशत छात्र ही ऐसे हैं, जो यह पाठ 19 से 20 वर्ष की आयु में सीखते हैं। 4.5 प्रतिशत किशोर अध्यापकों से, 25 प्रतिशत प्राध्यापकों से और 2.5 प्रतिशत सेक्सुअल स्वास्थ्य कार्यशालाओं से इसका ज्ञान प्राप्त करते हैं।

ज्यादा विश्वसनीय नहीं
रिपोर्ट में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि किशोरावस्था के बच्चों को सेक्स ज्ञान अभिभावकों से नहीं मिल पाता। अन्य जो माध्यम हैं, वे ज्यादा विश्वसनीय नहीं होते।

नवदंपति भी ज्ञान में कच्चे
सम्मेलन में नवी मुंबई के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. जेके नाथ ने बताया कि महानगर में 15 प्रतिशत ऐसे नवदंपति हैं, जिन्हें सेक्स का ज्ञान नहीं है और वे अपने हमसफर के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते। इनमें ऐसे कई लोग हैं, जो काफी पढ़े-लिखे हैं और कॉर्पोरेट क्षेत्र में कार्यरत हैं।

* स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को इस तरह तैयार करें कि वे अपने बच्चों को सेक्स ज्ञान बेहतर तरीके से दे सकें। पाठ्यक्रमों के माध्यम से भी समाज की भावी युवा पीढ़ी को सेक्स ज्ञान दिए जाने की आवश्यकता है।

- डॉ. नीलम राणे, प्रोफेसर, पाटिल मेडिकल कॉलेज, मुंबई

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