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गर्भधारण करें और ऑफिस भी जाएँ

हमें फॉलो करें गर्भधारण करें और ऑफिस भी जाएँ
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- डॉ. शैफाली ओझा-

आधुनिक महिला गर्भधारण के बाद भी ऑफिस से दूर नहीं रहना चाहती। एक तो छुट्टियाँ लेने से उसके काम का नुकसान होता है, दूसरी ओर उसकी मानसिकता पर भी गहरा असर पड़ता है। इसलिए गर्भधारण करने के बाद ऑफिस जरूर जाएँ लेकिन कुछ सावधानियाँ भी बरतें ताकि माँ और होने वाली संतान स्वस्थ रहे।

आधुनिक युग में अधिकांश महिलाएँ कामकाजी हैं। वे पूरा दिन ऑफिस में काम करते हुए बिताती हैं। गर्भवती महिला के मामले में ऑफिस जाना जहाँ एक अलग जिम्मेदारी है वहीं आराम करना भी जरूरी है। ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में गर्भवती महिलाओं का जानना जरूरी है। जानकारी रहते हुए ही सावधानी रखी जा सकती है।

कभी-कभी अति-आधुनिकता व लापरवाही भी नुकसानदायक हो सकती है। अक्सर यह देखा गया है कि ज्यादा काम करने से, टीवी के सामने ज्यादा देर बैठने से गर्भवती ट्यूब से निकलने वाली रेडिएशन के संपर्क में रहती हैं। इससे गर्भपात हो सकता है, बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है या फिर जन्मजात विकार के साथ पैदा हो सकता है।

ये हैं कुछ जानने योग्य बातें-
ऑफिस में 20 घंटे प्रति सप्ताह से ज्यादा काम करने, कम्प्यूटर, टीवी के सामने बैठने से गर्भवती महिलाओं को खतरा हो सकता है। इसलिए लगातार स्क्रीन पर नजर न रखें।

* किसी भी आधुनिक उपकरण के पीछे बैठना ज्यादा नुकसानदायक है। ऐसा देखा गया है कि ज्यादा रेडिएशन टीवी और कम्प्यूटर के पीछे से निकलता है।
* एंटी ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करें या फिल्टर लगाएँ।
* लगातार एक ही जगह पर बैठने से ज्यादा अच्छा है बीच-बीच में ब्रेक लें।
* बीच में काम के दौरान हल्की एक्सरसाइज जैसे स्ट्रेचिंग करें।
* बैठने के लिए एडजेस्टेबल चेयर का इस्तेमाल करें ताकि सीट की हाइट कम या ज्यादा की जा सके और पीठ को आराम दिया जा सके।
* अमोनिया, मरक्यूरी कंपाउंड, इथेलिन ऑक्साइड फार्मलडियाइड जैसी केमिकल्स और गैसेस वाली जगहों पर न बैठें।
* अधिक भार ढोने वाला काम लंबे समय तक करने या देर तक खड़े रहने से समय पूर्व डिलेवरी या गर्भपात का खतरा रहता है।
* चाय, कॉफी में डालने वाली कृत्रिम शकर का इस्तेमाल कम करें। सबसे ज्यादा अच्छा है ताजे फलों का रस लें।

* कॉफी और कैफेन का इस्तेमाल ज्यादा न करें, क्योंकि ये माँ से बच्चे में जाता है। 4 या 5 से अधिक कप कॉफी पीने से बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसे ज्यादा पीने से तो आपकी भूख मरती है। दूसरा इसका साइड इफेक्ट होता है, जिससे आपके शरीर में से पानी और कैल्शियम निकल जाता है। तीसरा ये आपकी नींद में बाधा पहुँचाता है। इससे लौह शरीर में संचित होने से भी बाधा पहुँचती है। इसके कारण बच्चे की दिल की धड़कन का अधिक होना या अनियमित होना पाया जाता है।
* धूम्रपान आपके लिए अत्यधिक हानिकारक है। धूम्रपान न करें और धूम्रपान आपके सामने किसी को न करने दें। इसका सेवन करने से बच्चे के फेफड़े में विकार उत्पन्न होना देखा गया है।
* एक्स-रे से बचें। इसका विपरीत प्रभाव गर्भावस्था के प्रथम तीन महीनों में होने की आशंका होती है। जब बच्चे के अंग बन रहे होते हैं।
* ध्यान रहे घर में सफाई करने वाले केमिकल, कीटनाशक दवाई और पेंट से दूर रहें।
* हीटिंग पैड का इस्तेमाल 15 मिनट से ज्यादा न करें।
* इलेक्ट्रॉनिक ब्लैंकेट में न सोएँ।
* माइक्रोवेव में देखें कि कहीं वह लीक तो नहीं कर रहा है। जब माइक्रोवेव काम कर रहा हो तो उसके सामने न रहें।
* कोई भी उपकरण जिससे शरीर का तापमान 102 डिग्री फे. से अधिक होता हो उससे दूर रहें।
* ऑफिस या घर में कुत्ते या बिल्ली जैसे जानवर हों तो उनका भी चेकअप करवाएँ क्योंकि इनसे इन्फेक्शन हो सकता है जिनसे गर्भपात होता है।
* मादक पदार्थों का सेवन न करें। 150-180 मिली से अधिक शराब का सेवन करने से बच्चे में गंभीर बीमारियाँ देखी गई हैं।
* आखिरी 6 महीनों में मादक पदार्थों का सेवन करने से बच्चों में रक्तकैंसर होने का खतरा रहता है।
* मोबाइल का प्रयोग भी सावधानी से करें। इनसे निकलने वाली रेडियो तरंग शरीर को नुकसान पहुँचा सकती है।

सावधानियाँ-

आप और बच्चे का स्वास्थ्य दुनिया के किसी काम से ज्यादा महत्वपूर्ण है। काम करें पर सावधानी से। काम के दौरान भी प्रसन्नचित्त रहें। काम करने के अतिरेक में इतना जोखिम कभी न उठाएँ कि जान पर बन आए।

एमबीबीएस एमएस (गायनिक) स्त्री रोग विशेषज्ञ
डॉ. ओझा हुकुमचंद पॉली क्लिनिक इंदौर में प्रदेश के पहले 40 प्लस क्लिनिक की इंचार्ज हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण ले चुकी हैं। वे देशभर में होने वाली स्त्री रोग विशेषज्ञों की कॉन्फ्रेंसेस में हिस्सा लेती हैं।

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