Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गर्मियों के गुणकारी शीतल पेय

डॉ. संजीव कुमार लाले

हमें फॉलो करें गर्मियों के गुणकारी शीतल पेय
ND
ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेदानुसार मनुष्य का स्वाभाविक बल क्षीण होता है एवं इसका अनुभव प्रत्यक्ष रूप से महसूस भी करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक ऊष्णता एवं शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होती है। शरीर में लू (सनस्ट्रोक) लगने का भय बना रहता है।

गर्मियों में मधुर, स्निग्ध, शीतल पचने में हल्के तथा द्रव (लिक्विड) पदार्थों का सेवन करना चाहिए। दूध, मिश्री, सत्तू, शीतल जल एवं पानक (पना) पीना लाभप्रद होता है।

ग्रीष्म ऋतु में ऐसे व्यक्ति जो प्रतिदिन मद्यपान करते हैं, वे अल्पमात्रा में मद्यपान करें या अल्प मद्य में अधिक मात्रा जल मिलाकर लें, अधिक लाभप्रद यह है कि मद्यपान बिलकुल न करें। इसके अतिरिक्त इस ऋतु में अधिक चटपटे, खट्टे पदार्थों का सेवन न करें एवं अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम न करें।

इस ऋतु में भोजन के प्रति रुचि कम होती है, अत्यधिक तापमान एवं पसीने से शरीर के जलीय अंश की पूर्ति हेतु यथा आवश्यक अधिक पानी एवं फलों के रसों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही शर्बत या फलों से बनने वाले पने का प्रयोग करना हितकर होता है। आयुर्वेद में इस तरह के शीतल पेय को पानक भी कहा जाता है। इसमें पना बनाने की विधियां दी गई हैं, जो औषध गुणों के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली जलन, ताप एवं लू, भूख की कमी आदि को दूर करते हैं एवं शरीर की थकावट को दूर करते हैं।

गुलाब शर्बत
गुलाब जल में दुगुनी शकर मिलाकर चाशनी बनाकर छान लें, 10-40 एमएल मात्रा तक पानी मिलाकर सेवन करने से शरीर में जलन, अधिक प्यास को नष्ट करता है, शरीर शीतल होता है।

आम का पना
कच्चे आम को पानी में उबालकर, मसलकर गुठली निकाल लें। उसमें दुगुनी शकर, शीतल जल तथा अल्पमात्रा में कालीमिर्च एवं जीरा मिलाकर पीने से यह तत्काल बल एवं भोजन में रुचि बढ़ाता है। इसमें आवश्यकतानुसार सेंधा नमक मिलाया जा सकता है।

webdunia
ND
नीबू का पना
नीबू का रस 1 भाग, शकर 4-6 भाग लेकर दोनों को पकाकर चाशनी बनने पर आवश्यकतानुसार अल्प मात्रा में लौंग एवं कालीमिर्च का चूर्ण डालें, आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर पीने से यह ग्रीष्म ऋतु में भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न करता है, भोजन को पचाता है एवं गर्मी में वात बढ़ने से वात को नष्ट करता है।

धनिया का पना
20-40 ग्राम सूखे धनिया को बारीक पीसकर कपड़े से छान लें, पश्चात इसमें शकर की चाशनी डालकर, मिट्टी के नए पात्र में 2-4 घंटे रखें, इलायची आदि से सुगंधित कर पीने से यह श्रेष्ठ पित्तनाशक है एवं शरीर की जलन, गर्मी को कम करता है।

आंवले का मुरब्बा
यह 1-2 आंवले की मात्रा में सेवन करने से गर्मी में होने वाली नेत्र जलन, कब्ज, त्वचा विकार, सिरदर्द एवं शरीर में गर्मी एवं जलन कम करता है।

चंदन शर्बत
यह शरीर की दाह, नाक से रक्तस्राव (इपिटेक्सिस), लू लगना को दूर करता है।

उशीर शर्बत
शरीर का ताप, गर्मी, प्यास, जलन आदि को नष्ट करता है। गंभारी फल, खजूर एवं फालसा इन फलों को पानी में मसलकर छान लें। शकर मिलाकर पीने से यह थकावट को नष्ट करता है एवं यह ग्लूकोस का श्रेष्ठ विकल्प है, गंभारी फल, फालसा आदि फल में प्राकृतिक रूप से साइट्रिक एसिड, मेलीक एसिड, प्राकृतिक शर्करा पाए जाते हैं।

इसी तरह खजूर में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, ग्लूकोस आदि पाए जाते हैं, जो शरीर में तुरंत बल का संचार करते हैं। इसी तरह गंभारी फल, खजूर एवं मुनक्का को प्रयोग किया जा सकता है। इसे मधुर त्रिफला कहा जाता है। खजूर या पिंड खजूर, मुनक्का, महुआ का फूल, फालसा इसे पकाकर, ठंडे जल में चीनी मिलाकर पीने से गर्मी में होने वाली थकावट को नष्ट करता है। साथ ही शरीर को शीतल रखता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi