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जब बढ़ानी हो आहार की पौष्टिकता

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निर्मला फेरा
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हम जो भोजन रोजाना करते हैं, उनमें पौष्टिकता तो होती है, लेकिन कई बार हम अपनी जानकारी के अभाव में उसे नष्ट कर देते हैं। जैसे चावल को धोकर उसका पानी फेंक देना, सब्जियों को काटने के बाद धोना या फिर उन्हें ढेर सारे मसालों के साथ तैयार करना।

खरीदारी करते हुए ध्यान रखें

*आमतौर से सब्जियों का रंग जितना ज्यादा सुर्ख होगा उनमें पौष्टिक तत्व उतने ही ज्यादा होंगे, जैसे गाजर जितनी ज्यादा लाल तथा पत्तागोभी जितनी ज्यादा हरी होगी आपके शरीर को क्रमशः विटामिन 'ए' और 'सी' उतना ही ज्यादा मिलेगा।

*पॉलिश किए हुए खाद्य पदार्थ महँगे होते हैं लेकिन पौष्टिकता उतनी ही कम होती है। अनाजों को पॉलिश करने और चक्की में पीसने से उनका विटामिन 'बी', चोकर और रेशा समाप्त हो जाता है, इससे बेहतर है कि उसे भाप में तैयार किया जाए।

*डिब्बाबंद करने से खाद्य पदार्थों में सोडियम (नमक) की मात्रा तो बढ़ जाती है पर पोटेशियम ज्यादातर नष्ट हो जाता है। ये दोनों ही बातें उच्च रक्तचाप की शिकायत वालों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।
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भंडारण सही ढंग से करें

*ताजा फल-सब्जियों को ज्यादा लंबे समय तक भंडारित न रखें। पेड़ से तोड़ लेने के बाद भी फल-सब्जियाँ साँस लेती रहती हैं और इस प्रक्रिया में उनके पोषक तत्व खर्च होते जाते हैं। आप इन्हें जितने लंबे समय तक भंडारित रखेंगे, विटामिन्स की हानि होती रहेगी।

मसलन, ताजा फल-सब्जियों को 2-3 दिन से ज्यादा रेफ्रिजरेटर में रखने पर भी उनका आधे से ज्यादा विटामिन सी समाप्त हो जाता है और कमरे के सामान्य तापमान पर तो गर्मी के कारण विटामिनों की हानि और भी ज्यादा होती है।

*सूखे फलों (मेवों) को हवाबंद डिब्बों में रखें क्योंकि उनके विटामिन हवा के संपर्क में आने से नष्ट होते हैं।

साबुत खाएँ, कच्चा खाएँ

*फल और सब्जियाँ जब आप बगैर छिलका उतारे खाते हैं तो आपको विटामिन, रेशा तथा खनिज तत्व ज्यादा मात्रा में प्राप्त होते हैं क्योंकि ये सब छिलके के ऐन नीचे केंद्रित होते हैं। फ्रूट-ज्यूस बनाते ही ये सारे पोषक तत्व आप खो देते हैं।

*गाजर या आलू जैसी सब्जियों के छिलके उतारना यदि आपको एकदम जरूरी लगता हो तो बजाए पीलर (चाकू) के स्क्रबर (छिलनी) का इस्तेमाल करें।

*फूलगोभी और पत्तागोभी जैसी सब्जियों के डंठलों को फेंक मत दीजिए। उनमें रेशा बहुत होता है।

कुछ सब्जियों और फलों को बगैर पकाए ही खाएँ। इन्हें पकाने से न केवल इनके बहुमूल्य विटामिन बल्कि कुछ पौध खादों में मौजूद औषधीय यौगिक (जिनमें कैंसर निरोधी रसायन भी शामिल हैं) भी खत्म हो जाते हैं।

*कच्चा चबाने के नियम के अपवाद भी हैं। सोयाबीन तथा चवला जैसी फलियों को अंकुरण के पश्चात भी कच्चा नहीं खाना चाहिए। उनमें एक ऐसा तत्व होता है जो उनमें निहित प्रोटीन की पाचन क्रिया में अवरोध पैदा करता है। इन्हें पकाने से यह तत्व नष्ट हो जाता है और आपका शरीर मौजूद प्रोटीन को आसानी से आत्मसात कर लेता है।

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पौष्टिकता इससे बढ़ेगी

*अनाज को अंकुरित करने से उनमें निहित प्रोटीन टूटकर कहीं ज्यादा पाचक रूपों में चोकरित हो जाता है। इससे दालों में विटामिन 'सी' की मात्रा 60 से 90 प्रतिशत तक तथा विटामिन 'बी' की मात्रा 15 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

*खाद्य पदार्थों को खमीरित करने से भी उनमें 'बी-कॉम्प्लेक्स' विटामिनों की मात्रा बढ़ जाती है।

पहले से तैयारी करें

*पकाने या खाने के समय से बहुत पहले से सब्जियों या फलों को काटकर न रख दें। कटी हुई सब्जियाँ जितनी ज्यादा देर हवा के संपर्क में रहेंगी उनमें से विटामिन 'सी' और 'बी' की हानि उतनी ही ज्यादा होगी।

*फलों और सब्जियों को काटने से पहले धोएँ। उन्हें काटने के बाद धोने से उनमें निहित जल में घुलनशील विटामिन ('सी' तथा 'बी कॉम्प्लेक्स' समूह) पानी के साथ बह जाएँगे।

*सब्जियों को यथासंभव छोटे के बजाए बड़े-बड़े टुकड़ों में काटें। जितनी ज्यादा कटी हुई सतह हवा के संपर्क में आएगी, विटामिनों की हानि उतनी ही ज्यादा होगी।
  *पकाने या खाने के समय से बहुत पहले से सब्जियों या फलों को काटकर न रख दें। कटी हुई सब्जियाँ जितनी ज्यादा देर हवा के संपर्क में रहेंगी उनमें से विटामिन 'सी' और 'बी' की हानि उतनी ही ज्यादा होगी...      

*चावल को बहुत ज्यादा पानी में या बार-बार धोने से बी विटामिनों की हानि 40 प्रतिशत तक भी हो सकती है। यदि धोना ही हो तो चावल को पानी की न्यूनतम मात्रा में धोएँ।

सही ढंग से पकाएँ

*सब्जियों को उबालने के बाद यदि आप उस पानी को फेंक देते हैं तो आप उस पानी के साथ जल में घुलनशील विटामिन और उन खनिजों से भी हाथ धो बैठते हैं, जो सभी-के-सभी पकाए गए पानी में घुल चुके हैं।

*जल में घुलनशील विटामिनों की हानि को कम करने के लिए भोजन को उबालने की बजाए भाप में पकाएँ।

*यदि पकाने के लिए उबालना जरूरी ही हो तो इसके लिए कम से कम पानी का इस्तेमाल करें पकने के बाद बचे हुए पानी का उपयोग सूप, ग्रेवी या अन्य चीजें बनाने में कर लें।

*पकाते समय बर्तन को ढँककर रखें ताकि भोजन पकेगा भी जल्दी और पोषक तत्व भी बचे रहेंगे।

*लोहे के पात्र में भोजन पकाने से उस भोजन में लौह तत्व शामिल हो जाता है। टमाटर जैसे अम्लीय खाद्यों जो बर्तन में से लोहा सोख लेते हैं, के मामले में ऐसा खासतौर से होता है।

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