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सिंपल टिप्स फॉर मसाज-2

मालिश के लिए उपयोगी तेल

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, गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010 (12:26 IST)
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जैसे किसी फल का छिलका साफ, सुथरा और चमकदार होता है तो फल सुन्दर दिखाई देता है और तरोताजा भी, वैसे ही हमारे शरीर की त्वचा साफ-सुथरी और चमकदार दिखाई दे तो शरीर सुन्दर भी दिखता है और तन्दुरुस्त भी। त्वचा को सुन्दर व स्वस्थ रखने में सहायक एक उत्तम उपाय है तेल मालिश करना।

मालिश के लिए तिल, सरसों, मूँगफली, नारियल, जैतून और बादाम आदि का तेल प्रयोग किया जाता है।

तिल का तेल- तिल के तेल की आयुर्वेद ने बहुत प्रशंसा की है। तिल का तेल भारी, रंग को गोरा करने वाला, वात कफ नाशक, शीतल स्पर्श वाला, रक्तपित्त कारक, गर्भाशय को शुद्ध करने वाला, रोग, मस्तक शूल आदि का नाश करने वाला, शरीर में हल्कापन लाने वाला होता है।

सरसों का तेल- यह अग्नि प्रदीप्त करने वाला, हलका, स्पर्श में उष्ण, तीक्ष्ण और कफ, मेद, वात, बवासीर, सिर व कान के रोग, खुजली, कृमि कुष्ठ, आदि को नष्ट करने वाला होता है।

मूँगफली का तेल- यह तेल बादाम और जैतून के तेल के समान गुणकारी और तिल व सरसों के तैल की अपेक्षा बहुत ज्यादा प्रयोग में लिया जाने वाला तैल है। मालिश करने पर त्वचा में चिकनापन नहीं बल्कि रूखापन लाता है।

नारियल का तेल- इसका तेल बालों के लिए सारे भारत में, पर खाने के लिए दक्षिणी भारत व समुद्री तट वाले स्थानों में विशेष रूप से प्रयोग में लिया जाता है। यह मधुर, बलदायक, केशों के लिए हितकारी, उष्ण, वातनाशक और नेत्र रोग नाशक होता है तथा खाने व लगाने, दोनों कामों में उपयोगी होता है।

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जैतून का तेल- यह चिकनाई के लिए प्रयोग किया जाने वाला उत्तम और उत्तेजनारहित तेल है। इस तेल से मालिश करने से त्वचा मृदु, चिकनी और चमकदार होती है। यह कृमिनाशक, हलका पीला और अत्यन्त स्निग्ध होता है। इसे अंग्रेजी में ओलिव ऑइल कहते हैं।

बादाम का तेल- यह महँगा तो होता है पर बहुत गुणकारी होता है। यह तेल पीला, गन्धरहित, दिमाग और केशों के लिए हितकारी, त्वचा के लिए गुणकारी, खुश्की मिटाने वाला, हड्डी और स्नायु मण्डल को शक्ति देने वाला, गर्म, स्निग्ध, वातनाशक, भारी और शक्तिदायक होता है।

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