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हृदय रोगियों पर नजर रखेगा बायोसेंसर

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आईआईटी के सेंटर फार एक्सीलेंस ऑफ नेनोलेक्ट्रॉनिक्स ने एक ऐसा बायोसेंसर विकसित किया है, जो हृदयाघात का पता लगाने के साथ हृदयाघात होने से पहले ही मरीज को आगाह कर देगा। सेंटर फार एक्सीलेंस ऑफ नेनोलेक्ट्रॉनिक्स के प्रमुख डॉ. वी. रामगोपाल राव ने बताया कि आईसेंस नामक यह बायोसेंसर इस साल के अंत तक बाजार में आ जाएगा।

आईसेंस के क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी की जा रही है और दिसंबर तक इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस उपकरण को देशभर के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों तक भेजा जाएगा, क्योंकि हृदयाघात के सिर्फ 5 प्रश मरीज ही बड़े अस्पतालों तक पहुँच पाते हैं और 95 प्रश मरीज हृदयाघात के बाद प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों या छोटे क्लीनिकों में पहुँचते हैं। 10 से 20 हजार रुपए के बीच इस उपकरण की कीमत होगी और इसे बड़ी आसानी से उपयोग किया जा सकेगा।

इस बायोसेंसर में एक डिस्पोजेबल कार्ड लगा रहेगा। इससे परीक्षण का खर्च कुल 400-500 रुपए आएगा और एक मरीज की जाँच में करीब 1000 रुपए खर्च होंगे। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह स्वदेशी युक्ति मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (हृदयाघात के लक्षण) डायग्नोसिस करने वाले बाजार में उपलब्ध उपकरणों से 20 गुना सस्ती है।

बायोसेंसर की खास बात यह है कि यह हृदयाघात का पता तो लगाएगा ही, साथ ही यह हृदयाघात की संभावनाओं को 6 महीने पहले ही बता देगा। डॉ. राव ने बताया कि हमने इस उपकरण की ईजाद आम आदमी की सहूलियत के लिए की है। डॉ. राव ने बताया कि हम 8 प्रोटोटाइप सिलिकॉन लाकेट भी विकसित कर रहे हैं। इनकी मदद से हृदय रोगियों पर दूर से ही नजर रखी जा सकेगी। इस बायोसेंसर के विकास में 3.6 करोड़ रुपए की लागत आई है और यह धनराशि नेशनल प्रोग्राम फार स्मार्ट मटेरियल्स ने दी है।

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