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श्वास गंध बताएगी शक्कर की मात्रा !

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मधुमेह यानी तमाम आफत। जाँच कराने के लिए भी चुभन की पीड़ा। परंतु अब यह दिक्कत नहीं आनी है। वैज्ञानिकों ने इसके परीक्षण को बिना चुभन और रक्तहीन कर दिया है। अब केवल साँस से समझा जा सकेगा कि शरीर में शक्कर कितनी है।

अभी तक मधुमेह की जाँच के लिए होता यह रहा है कि बाँह ऊपर कर एक सुई में खून निकाला जाता था। वह खून बताता था कि कितनी शक्कर मौजूद है। परंतु अब यदि मरीज गहरी साँस लेकर एक उपकरण पर छोड़ेगा, तो सारी जानकारी सामने होगी।

सेंटर ग्लास एंड सेरामिकरिसर्च इंस्टीट्यूट के अमरनाथ सेन कहते हैं कि यह समय की जरूरत है। यह मधुमेह के परीक्षण में अहम भूमिका निभाएगी। संस्थान में एक वैज्ञानिक दल के प्रमुख सेन का कहना है कि यह जब भी बाजार में आएगी, 500 से 700 रु. के करीब होगी। यह पाँच साल तक आसानी से रखी जाएगी। ग्लूकोमीटर काफी महँगे होते हैं, साथ ही जाँच करने वाली स्ट्रिप को एक बार में ही फेंकना पड़ता है।
  मधुमेह यानी तमाम आफत। जाँच कराने के लिए भी चुभन की पीड़ा। परंतु अब यह दिक्कत नहीं आनी है। वैज्ञानिकों ने इसके परीक्षण को बिना चुभन और रक्तहीन कर दिया है। अब केवल साँस से समझा जा सकेगा कि शरीर में शक्कर कितनी है।      


एसीटोन का साँस में महत्व 'बायोमार्कर' की तरह होता है और इसके मापन की भी विधि है। बनाया गया उपकरण, जिसे प्रारंभिक नाम 'सेंसर' दिया गया है, आसानी से व्यक्ति की श्वास से शक्कर की मात्रा माप लेता है।

ऐसे चलेगा पत
नया विकसित किया गया उपकरण साँस की गंध से पहचान लेगा। मीठी और फल की गंध से समझ जाएगा कि आदमी को मधुमेह है। मीठी गंध रासायनिक अवयव एसीटोन की वजह से आती है। जब शरीर वसा को ऊर्जा में तब्दील करता है तो यह प्रक्रिया केटोसिस कहलाती है। केटोसिस सभी में सामान्य होता है, परंतु स्वस्थ व्यक्ति की साँस में एसीटोन की गंध प्रति दस लाख के 0.9 भाग से ज्यादा की नहीं होती।

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