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कामकाजी लोगों पर स्वाइन फ्लू का कहर

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काम करने की उम्र के लोगों पर स्वाइन फ्लू का कहर सबसे अधिक है। अब तक इस रोग से संक्रमित व मरे लोगों के विश्लेषण से चिंतित करने वाला यह तथ्य सामने आया है। आशंका है, भारत में स्वाइन फ्लू के संक्रमण की वजह से श्रम दिवसों की खासी हानि हो सकती है । अधिकतर कार्यालयों में काम ठप होने की नौबत आ जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी ।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वाइन फ्लू 14 से 44 साल के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। सवाल उठ रहा है कि कहीं शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता को कम करने वाले रोग एचआईवी की वजह से भी तो ऐसा नहीं हो रहा। गौरतलब है, सेक्स में सक्रिय होने की उम्र भी यही है।

मंत्रालय के विश्लेषण से यह निष्कर्ष भी निकला है कि अधिकतर मौतें देर से हुई रिपोर्टिंग की वजह से हो रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक आरके श्रीवास्तव ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि मौतों के मामलों के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि अधिकतर मामलों में मरीज देर से सरकारी अस्पताल पहुँचे। वे लक्षण सामने आने के पाँच दिन या उससे अधिक समय बाद आए। अधिकतर मामलों में साँस लेने में कठिनाई मौत की वजह रही। यह विश्लेषण मौतों के 30 मामलों पर आधारित है ।

उन्होंने कहा, हालाँकि नमूनों की संख्या बहुत कम है लेकिन फिर भी इससे संक्रमण के रुख का अंदाजा जरूर मिल जाता है। बुखार साँस लेने में कठिनाई व खाँसी के लक्षणों के बाद अस्पताल आने में जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए। स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों का जीवन बचाने का एकमात्र यही रास्ता है।

उन्होंने कहा, विश्लेषण मौत की दर का पता लगाने के लिए नहीं किया गया लेकिन यह दर 2.4 प्रतिशत से भी कम है। यह चिंता की बात नहीं है। जाड़े में वायरस की क्षमता बढ़ती है या नहीं, इसकी कोई स्टडी नहीं है लेकिन ऐसा देखा गया है कि जाड़े में फ्लू के मामले बढ़ते हैं।

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