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भारत होगा अस्थमा की वैश्विक राजधानी

सेहत समाचार

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वार्ता

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देश में जिस तेजी से अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है उसे देखते हुए मधुमेह के बाद अब भारत विश्व में अस्थमा रोगियों की राजधानी भी बनने जा रहा है। देश के प्रसिद्ध अस्थमा रोग विशेषज्ञ मुंबई के सेंट जार्जेस अस्पताल के डॉ. प्रमोद निफाडकर के अनुसार जिस तेजी से अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए आगामी एक दशक में विश्व में भारत अस्थमा रोगियों की राजधानी बन जाएगा।

महानगर मुंबई में प्रत्येक पाँचवाँ व्यक्ति प्रदूषित पर्यावरण की चपेट में आकर अस्थमा रोग के प्रारंभिक लक्षणों का शिकार है। मुंबई में वर्तमान में करीब 10 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। मुंबई में पर्यावरण के प्रदूषित होने का मुख्य कारण बड़े पैमाने पर होने वाले भवन, सड़क और अधोसंरचना निर्माण से जुड़े कार्य हैं। इन निर्माण कार्यो में उपयोग होने वाली सामग्री के अवेशेषों से पर्यावरण में कार्बन और नाइट्रोजन डाईआक्साइड तथा महीन धूल के कण तेजी से फैलते हैं और यही लोगों में अस्थमा रोग के लक्षण पैदा करने का कारण बनते हैं। यह बात हाल ही में मुंबई में आयोजित अस्थमा कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए अध्ययन में सामने आई है। कमोबेश ऐसी ही हालत अन्य बड़े शहरों की भी है।

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