'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' विधि को कारगर बताया गया है, जिसमें बिना बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन संभव है। इस नवीनतम विधि से लेजर किरणों की सहायता से विकृति वाले स्थान को नष्ट कर दिया जाता है
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सुलभ व देश के विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध कराने की माँग की गई है। इस ऑपरेशन से पहले रोगी के मस्तिष्क का एम.आई.आर. किया जाता है, जिससे यह पता चला जाता है कि मस्तिष्क का कौन-सा भाग प्रभावित है। तत्पश्चात ऑपरेशन से उस प्रभावित क्षेत्र को निकाल दिया जाता है। इसके बाद मरीज एक-दो साल दवाएँ लेने के बाद पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है।
इसी संदर्भ में 'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' विधि को कारगर बताया गया है, जिसमें बिना बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन संभव है। इस नवीनतम विधि से लेजर किरणों की सहायता से विकृति वाले स्थान को नष्ट कर दिया जाता है। इस विधि में रोगी के शरीर से रक्त नहीं निकलता है। इससे मिर्गी ही नहीं, मस्तिष्क की अनेक प्रकार की बीमारियों का भी ऑपरेशन किया जा सकता है। तमाम अध्ययनों के बाद पता चला है कि महिलाओं में माइग्रेन, मल्टीपल स्थलीरोसिस, मायस्थेनिया, ग्रेविस बीमारियाँ होने की संभावना अधिक है, जबकि पुरुषों में मस्तिष्क संरचना अलग प्रकार की होने के कारण उनमें मिर्गी व मस्तिष्क के कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है। यूँ तो चिकित्सा विज्ञान ने नए-नए आविष्कारों के जरिए अब कठिन रोगों के इलाज को आसान किया है, परंतु भारत जैसे विकासशील देशोंमें अभी भी यह सुविधा समाज का सिर्फ एक वर्ग ही उठा पा रहा है। 'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' व मिर्गी ऑपरेशन की सुविधा कब तक देश के हर कोने में उपलब्ध व सभी के लिए सुलभ होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।