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मिर्गी का इलाज ऑपरेशन से

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गंभीर मिर्गी रोगियों का इलाज ऑपरेशन से संभव है। हालाँकि यह इलाज अभी देश के सभी अस्पतालों की पहुँच से दूर है, फिर भी यह देश के कुछ अस्पतालों में उपलब्ध है।

यूँ तो मिर्गी रोग दवा के जरिए ही ठीक हो जाता है, परंतु 30 प्रतिशत मामलों में ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है। इस ऑपरेशन से रोगी के ठीक हो जाने की संभावना अधिक होती है। मिर्गी रोग में व्यक्ति के दिमाग के कोशाणुओं से अधिक मात्रा में बिजली की तरंगें निकलती हैं। इन तरंगों से प्रेरित होकर दिमाग के एक या एक से अधिक भागों में बिजली की तरंगों की कार्रवाई असाधारण रूप से अस्त-व्यस्त हो जाती है।

इस वजह से रोगी को बार-बार दौरा पड़ता है। सामान्यतः मिर्गी का रोगी 3 से 5 वर्ष तक दवा खाने के बाद ठीक हो जाता है, परंतु यह सिर्फ 70 प्रतिशत मामलों में ही संभव हो पाता है। 30 प्रतिशत मामलों में ऑपरेशन जरूरी होता है। मिर्गी रोगियों में आवाज बदल जाने, चक्कर आने, जबान लड़खड़ाने की समस्या पाई जाती है। ऐसे रोगियों को सिर्फ ऑपरेशन से ही ठीक किया जा सकता है।

हालाँकि ऐसे ऑपरेशन की व्यवस्था सिर्फ चेन्नई, दिल्ली व तिरुवनंतपुरम के अस्पतालों में उपलब्ध है, परंतु धीरे-धीरे इसे सभी के लिए
'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' विधि को कारगर बताया गया है, जिसमें बिना बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन संभव है। इस नवीनतम विधि से लेजर किरणों की सहायता से विकृति वाले स्थान को नष्ट कर दिया जाता है
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सुलभ व देश के विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध कराने की माँग की गई है। इस ऑपरेशन से पहले रोगी के मस्तिष्क का एम.आई.आर. किया जाता है, जिससे यह पता चला जाता है कि मस्तिष्क का कौन-सा भाग प्रभावित है। तत्पश्चात ऑपरेशन से उस प्रभावित क्षेत्र को निकाल दिया जाता है। इसके बाद मरीज एक-दो साल दवाएँ लेने के बाद पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है।

इसी संदर्भ में 'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' विधि को कारगर बताया गया है, जिसमें बिना बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन संभव है। इस नवीनतम विधि से लेजर किरणों की सहायता से विकृति वाले स्थान को नष्ट कर दिया जाता है। इस विधि में रोगी के शरीर से रक्त नहीं निकलता है। इससे मिर्गी ही नहीं, मस्तिष्क की अनेक प्रकार की बीमारियों का भी ऑपरेशन किया जा सकता है। तमाम अध्ययनों के बाद पता चला है कि महिलाओं में माइग्रेन, मल्टीपल स्थलीरोसिस, मायस्थेनिया, ग्रेविस बीमारियाँ होने की संभावना अधिक है, जबकि पुरुषों में मस्तिष्क संरचना अलग प्रकार की होने के कारण उनमें मिर्गी व मस्तिष्क के कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है। यूँ तो चिकित्सा विज्ञान ने नए-नए आविष्कारों के जरिए अब कठिन रोगों के इलाज को आसान किया है, परंतु भारत जैसे विकासशील देशोंमें अभी भी यह सुविधा समाज का सिर्फ एक वर्ग ही उठा पा रहा है। 'गामानाइफ रेडियो सर्जरी' व मिर्गी ऑपरेशन की सुविधा कब तक देश के हर कोने में उपलब्ध व सभी के लिए सुलभ होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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