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गर्भाशय कैंसर की पैप स्मीयर जाँच

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गायत्री शर्मा
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नारी परिवार की धूरी होती है जिसके आसपास परिवार की गाड़ी का पहिया घुमता है। नारी अगर स्वस्थ हो तो पूरा परिवार खुशहाल रहता है। हमारी रोजमर्रा की जरूरतों का खयाल रखने वाली तथा हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा नारी यदि रोगग्रस्त हो तो परिवार में परेशानियाँ व संकट आना लाज़मी ही है।

हमारी चिंता करते-करते वो स्वयं का खयाल रखना ही भूल जाती है। कैंसर एक ऐसी भयावह बीमारी है जिससे आज इस देश की हजारों महिलाएँ पीडि़त है। विश्व के प्रतिवर्ष 1 लाख कैंसर रोगियों में से 18 प्रतिशत रोगी भारत में होते है। महिलाओं को होने वाले कैंसर में 40 प्रतिशत भागीदारी मुख, गर्भाशय व स्तन कैंसर की होती है।

कल तक इस बीमारी को मौत का पर्याय कहा जाता था। जिसके होने पर मरीज के जी‍‍वित बचने की सारी आशाएँ छोड़ दी जाती थी परंतु आज चिकित्सा के क्षेत्र में मिली अभूतपूर्व उपलब्धियों से इस बीमारी का इलाज संभव हो पाया है। समय रहते यदि कैंसर से संबंधित आवश्यक जाँच करा ली जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है।

* संबंधित जाँच
गर्भाशय मुख कैंसर का पता लगाने के लिए एक विशेष जाँच होती है जिसे 'पैप स्मीयर जाँच' कहा जाता है। इसके लिए गर्भाशय मुख की कोशिकाओं का सूक्ष्म नमूना लिया जाता है। इस नमूने का सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा अध्ययन करने पर असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है। जिनके परीक्षण से संबंधित कैंसर का पता लग जाता है। इस जाँच में कोई दर्द या तकलीफ भी नहीं होती है तथा अधिक समय भी नहीं लगता है।

* क्या है फायदे
'पैप स्मीयर जाँच' महिलाओं को कैंसर होने से 4-5 वर्ष पूर्व ही कैंसर की चेतावनी देकर आगाह कर देती है। कैंसर की प्रारंभिक अवस्था हो या उससे पूर्व की स्थिति सबका आसानी से पता लग जाता है जिससे कि उपचार में काफी हद तक सुविधा मिलती है।

* कब करवाए जाँच
वैसे तो प्रतिवर्ष यह जाँच करानी चाहिए। ‍िजससे इस बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में ही उसका पता लग सके। लगातार जाँच कराने पर यदि 3 वर्ष तक नतीजे सामान्य आए तो इस जाँच को 2 वर्ष के अंतराल पर भी कराया जा सकता है। कभी भी कोई भी असामान्य परिवर्तन या लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।

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