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दिल बचाए बायपास

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- डॉ. मनीष पोरवा

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आर्टरी ब्लॉकेज के मामले में बायपास सर्ज़री अंतिम और सर्वश्रेष्ठ विकल्प समझा जाता है। इन दिनों चिकित्सा विज्ञान की नई खोजों के कारण दिल के ऑपरेशन अब और सरल तथा मरीज के लिए बेहतर साबित होने लगे हैं। वह दिन दूर नहीं जब बायपास सर्ज़री के बाद मरीज दूसरे दिन भी घर लौट सकेगा।

हृदय की धमनियों की बीमारी

हृदय की धमनी (कोरोनरी आर्टरी) में रुकावट पैदा होने को कोरोनरी आर्टरी डिसीज (सीएडी) कहते हैं। यह रुकावट वसा के जमने से होती है, जिससे धमनी कठोर हो जाती है। धमनी के पूर्ण रूप से बंद होने की स्थिति में हृदयाघात की आशंकाएँ अत्यधिक बढ़ जाती हैं। हृदय की तीन मुख्य धमनियों में से किसी भी एक या सभी में अवरोध पैदा हो सकता है।

हृदय की धमनियों की बीमारी के कारण

जोखिम के घटक या रिस्क फैक्टर्स कोरोनरी

* दोषपूर्ण, आरामतलब जीवन शैली

* बढ़ती उम्र : जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इन बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

* परिवार में रोग का होना : माता-पिता को यदि हृदय की धमनियों का रोग हुआ हो तो संतानों में भी इसकी आशंका हो सकती है।

* धूम्रपान

* उच्च रक्तचाप

* बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल

* मधुमेह

* मोटापा

* व्यायाम की कमी

* तनाव

कोरोनरी बायपास सर्जरी

इस ऑपरेशन में शरीर के किसी भाग से नस निकालकर उसे हृदय की धमनी से जोड़ दिया जाता है। यह नई जोड़ी हुई नस धमनी में रक्त प्रवाह पुनः चालू कर देती है। छाती के अंदर से मेमेरी आर्टरी या फिर हाथ से रेडिअल आर्टरी या पैर से सफेनस वेन निकालकर हृदय की धमनी से जोड़ी जाती है। कई लोगों को लगता है कि बीमार धमनियों को निकालकर नई नसें लगा दी जाती हैं, यह गलत धारणा है। बीमार धमनियों को नहीं निकाला जाता है बल्कि उसी धमनी में ब्लॉक या रुकावट के आगे नई नस जोड़ दी जाती है, इसी से रक्त प्रवाह पुनः कायम हो जाता है।

बायपास सर्जरी दो प्रकार स

सामान्य बायपास सर्जरी

इस बायपास सर्जरी में शरीर को हार्ट लंग मशीन से जोड़ा जाता है। शरीर का रक्त हार्ट लंग मशीन में भेज दिया जाता है। हृदय को खाली कर एवं कुछ दवाइयाँ देकर कुछ देर के लिए रोककर बायपास सर्जरी की जाती है। यह परंपरागत तरीका बरसों से चला आ रहा है।

बीटिंग हार्ट सर्जरी (मिनी बायपास)

इस तरीके से हृदय को रोका नहीं जाता है, हृदय धड़कता रहता है एवं धड़कते हुए दिल में नसों को जोड़कर बायपास सर्जरी की जाती है। हार्ट लंग मशीन को भी तैयार रखा जाता है। हार्ट लंग मशीन को हृदय से जोड़ा नहीं जाता है। एक उपकरण जिसे ऑक्टोपस कहते हैं, का उपयोग किया जाता है।

सामान्य भाषा में बीटिंग हार्ट सर्जरी को हम चालू हार्ट में बायपास करना बोलते हैं। इस तकनीक का अविष्कार चिकित्सा विज्ञान की बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि ऑपरेशन के दौरान हृदय अपना सामान्य कार्य करता रहता है।

एक सर्जरी में सामान्यतया तीन से चार घंटे लग सकते हैं। कितनी नसों में बायपास करना है यह उस पर निर्भर रहता है। बायपास सर्जरी के बाद मरीज को हार्ट अटैक आने का खतरा टल जाता है एवं एन्जाइना समाप्त हो जाता है।

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