Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हड्डियों में कमजोरी की शिकायत

हमें फॉलो करें हड्डियों में कमजोरी की शिकायत
- डॉ. शरद थोरा (शिशु रोग विशेषज्ञ)

ND
विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों में कमजोरी की शिकायत आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पाई जाती है। यह तो सभी जानते हैं कि हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और फास्फोरस जिम्मेदार हैं, लेकिन इन्हें हड्डियों में जमा रखने में विटामिन डी का बहुत बड़ा हाथ है।

विटामिन डी और कैल्शियम बच्चों को हमेशा माता के गर्भ में रहते हुए मिलता है। गर्भावस्था की अंतिम तिमाही इसी अर्थों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इन्हीं महीनों में बच्चे का विकास तेजी से होता है तथा उसे विटामिनों और खनिजों की सख्त जरूरत होती है। अगर माँ स्वयं विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से जूझ रही हो तो बच्चे में भी विटामिन डी की कमी हो जाती है।

यदि बच्चा समय से पहले पैदा हो जाए तो उसे भी विटामिन डी की कमी हो जाती है। हमारे देश में एक तिहाई बच्चे जन्म के समय कमजोर होते हैं। इसकी मुख्य वजह यही है कि माता गर्भावस्था के दौरान कुपोषण का शिकार हो जाती है तथा इस दौरान जितना पोषक आहार उसे चाहिए नहीं मिल पाता है इसीलिए बच्चा पैदायशी कमजोर होता है। उसे चलना सीखने में अधिक वक्त लगता है। वह ठीक से चल नहीं पाता। अधिकांश समय घसिटता रहता है।
  विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों में कमजोरी की शिकायत आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पाई जाती है। यह तो सभी जानते हैं कि हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और फास्फोरस जिम्मेदार हैं।      


इसके अलावा ऐसे बच्चों के दाँत भी समय पर नहीं निकलते हैं। उन्हें बार-बार दस्त लगते हैं तथा खाँसी भी लगातार बनी रहती है। ऐसे बच्चों का विकास भी ठीक से नहीं हो पाता है। दूसरे बच्चों की बनिस्बत लंबाई भी कम रह जाती है। ऐसे बच्चों के खून में यदि कैल्शियम की मात्रा और कम हो जाए तो उन्हें फिट्स के दौरे पड़ने लगते हैं। इन सभी लक्षणों के आधार पर शिशुरोग विशेषज्ञ आसानी से रोग पहचान लेता है।

इलाज : विटामिन की कमी के कारण कमजोर हुई हड्डियों का इलाज सरल और आसान है। रोग के लक्षणों को पहचानकर चिकित्सक विटामिन डी की खुराक तय कर देता है। दवा मुँह से दी जाती है, जिससे ज्यादातर बच्चों की स्थिति में सुधार हो जाता है। कुछ समय तक दवाएँ नियमित लेने से बच्चे इस बीमारी से हमेशा के लिए मुक्त किए जा सकते हैं।

विटामिन डी के स्रोत- दूध, अंडा, सूर्य की किरणें
आमतौर पर दूध को सभी विटामिनों का स्रोत माना जाता है लेकिन इसमें कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक होती है। अंडा और मांसाहार से भी विटामिन डी की पूर्ति हो सकती है लेकिन इन पदार्थों के अपने अवगुण भी हैं। सबसे अधिक निरापद स्रोत है सूर्य का प्रकाश। सूरज की किरणों से भरपूर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।

कैसे करें बचाव : गर्भ की अंतिम तीन माही में गर्भवती महिला को कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा फायबर की भरपूर मात्रा दी जानी चाहिए ताकि गर्भस्थ शिशु को किसी भी आवश्यक विटामिन की कमी न हो सके। गर्भवती को भरपूर पोषक आहार दिया जाना चाहिए ताकि उसके होने वाले बच्चे को किसी तरह की कमी न रहे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi