* खीरा रक्तकणों का शोधन करता है व इसका प्रवाह बढ़ाता है। * लहसुन खून का थक्का जमने नहीं देता अतः हृदय रोग में लाभकारी है। * परवल शरीर को ऊर्जा देती है। * गोभी, आलू, बीन्स आदि शरीर के विविध भागों, तत्वों, मात्राओं को प्रभावित करते हैं। इनको बनाते समय सावधानी की जरूरत है। सब्जी को काटने से पूर्व अच्छी तरह धो लिया जाए, काटने के बाद धोने से सब्जी के तत्व नष्ट होते हैं। पकाते समय अधिक तेल डालने व ज्यादा देर तक आग पर रखकर स्वाद के लालच में कहीं सब्जियों की पौष्टिकता नष्ट हो जाती है। अधिक मिर्च-मसाले से भी सब्जी का स्वाद कम हो जाता है।
ताजी सब्जियाँ, ताजा बनाकर सेवन करना ही हितकर होता है। बासी, फ्रिज में रखी, बार-बार गरम करके परोसी गई सब्जी में पौष्टिक तत्व खत्म हो चुके होते हैं।
दैनिक जीवन में सब्जियों का सेवन बढ़ाकर देखें, हाजमा ठीक रहेगा, गैस, एसिडिटी नहीं होगी एवं उत्साह बढ़ेगा। इससे आपका व्यक्तित्व निखरेगा। आप आयु से सदैव कम दिखाई देंगे।
बुजुर्ग कहा करते थे कि तिजोरी में धन होता है तो चेहरे पर चमक झलकती है अर्थात यदि लक्ष्मी (रुपया-पैसा) हमारी तिजोरी में हो तो चेहरा स्वतः खिला-खिला रहता है। अमीरी छिपाए नहीं छिपती। ठीक उसी प्रकार हमारा शरीर यदि भीतर से संपन्न, स्वस्थ है तो बाहरी तौर पर भी सुंदर दिखेगा।