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मुँह कैंसर में मददगार सब्जियाँ

हमें फॉलो करें मुँह कैंसर में मददगार सब्जियाँ
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-शकुंतला आर्य

मुँह कैंसर से बचने के लिए हरी, पत्तीदार और रेशेदार सब्जियों का सेवन बहुत उपयोगी होता है। अनेक शोधों से यह बात सामने आई है कि मुँह कैंसर में सब्जियों का खाना फायदेमंद होता है।

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एन.आई.एन.) के वैज्ञानिकों के मुताबिक हरी सब्जियों और कंद-मूल में पाए जाने वाले विटामिन ए, सेलेनियम, जस्ते और रिवोफ्लाविन जैसे पोषक तत्वों में कैंसर प्रतिरोधी गुण होते हैं। इन वैज्ञानिकों ने यह भी सुझाव दिया है कि ये तत्व कैंसर की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने में काफी हद तक सहायक साबित हो सकते हैं।

राष्ट्रीय पोषण संस्थान की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक सर्वेक्षण के दौरान चुने गए लोगों को जब तक (एक साल तक) इन पोषक तत्वों से भरपूर आहार खिलाया गया, उनमें मुँह के कैंसर के लक्षण लगभग खत्म हो चुके थे। वहीं दूसरी ओर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) के जरिए देश के तमाम भागों में किए गए सर्वेक्षणों से पता चला है कि धूम्रपान और तम्बाकू सेवन से फेफड़े, मुँह तथा आहार नली का कैंसर होने की ज्यादा आशंका होती है। इन सर्वेक्षणों से यह भी ज्ञात हुआ है कि अगर सिगरेट, बीड़ी और तम्बाकू उत्पादों का सेवन बंद करने पर फेफड़े, जीभ, मुखीय गुहा, ग्रसनी, स्वर यंत्र, पाचन तंत्र और ग्रसिका जैसे मुँह और पाचन तंत्र के विभिन्न भागों के कैंसर में 50 से 80 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।

भारत में कैंसर से पीड़ित सबसे अधिक 15 प्रतिशत पुरुष ग्रसनी और ग्रसिका के कैंसर से और मुँह (मुखीय गुहा) के कैंसर से 12 प्रतिशत लोग पीड़ित हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम (एन.सी.आर.पी.) के तहत दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बंगलोर जैसे बड़े शहरों में कराए गए सर्वेक्षणों और अध्ययनों के मुताबिक इन कैंसरों से 7 प्रतिशत महिलाएँ भी पीड़ित पाई गईं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मुँह का कैंसर विश्व में छठा सबसे घातक कैंसर है, लेकिन विकासशील देशों में यह पुरुषों का तीसरा तथा महिलाओं का चौथा सबसे घातक कैंसर है।

मुँह कैंसर के बढ़ने का जो दूसरा सबसे बड़ा कारण है- वह है, इस कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों का स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराने के लिए न जाना। जब रोग असाध्य दशा में पहुँच जाता है, तब पीड़ित व्यक्ति इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर चक्कर लगाने लगता है। समय से इलाज, रोग को आगे बढ़ने से रोकने में सहायक हो सकता है।

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