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सुगंधिता : सुगंध से सराबोर काव्य संग्रह

-रवीन्द्र गुप्ता

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हाल ही में कवि ललित भारद्वाज के ‍कविता संग्रह सुगंधिता ने साहित्य संसार में दस्तक दी है। संग्रह अच्‍छा बन पड़ा है। कवि ने जीवन के यथार्थ व अपने आसपास देखे-महसूस किए गए यथार्थ का चित्रण खूबसूरत अंदाज में किया। लेखक बधाई के पात्र हैं।

कविता 'अंतहीन सुखमयी पल' में एक याचक की व्यथा-कथा का अच्‍छा चित्रण किया गया है। पिता-पुत्री का दयाभाव व याचक की व्यथा-कथा मन को झकझोरती है। जिंदगी की तन्हाई में अकेलेपन का चित्रण है। मेरा कस्बा कविता में अतीत से ‍अब तक के बदलाव को रेखांकित किया गया है। कस्बे के शहर में बदल जाने व समयानुसार लोगों के रंगरूप बदल जाने का चित्रण अच्छा किया गया है। इसमें लेखक की पंक्तियां दिल बदल गए/ रिश्ते बदल गए/ मंजिलें बदल गईं/ लोग बदल गए/ भावनाएं बदल गईं- बहुत कुछ कह जाती हैं।

खूबसूरत संसार में चुलबुली बालिका की शरारतों ने बहुत लुभाया। मुर्गी को मुगड़ी बोलने वाली बालिका की हरकतें मन को लुभाती हैं।

कविता खुश-गम प्रेमी-प्रेमिका के साथ-साथ न होने की कथा कहती है मसलन तू मेरे पास नहीं/ तू मेरे साथ नहीं/ अजीब सी विडंबना है मेरे लिए। खैर?

'हमारा श्राप' शीर्षक से रची कविता में असंख्य कटे पेड़ों के विलाप को आवाज देकर लेखक ने स्तुत्य कार्य किया है। पेड़ों के रूदन, तड़पना, आंखों में आंसू आदि पाठक के दिल को सीधे स्पर्श करते हैं।

एक साथ चलने का सबब कविता में लेखक ने खजूर के पेड़ को लेकर अपने मन की बात कही है। जैसे जिंदगी का यह सफर/ जो मिला है हमें जय करने को... आदि पंक्तियां बेहतरीन हैं।

यथार्थ 24 घंटों का कविता में नारी मन की व्यथा-कथा का अच्‍छा चित्रण किया गया है। भारत व कमोबेश सारे संसार की अधिकतर नारियों की यही व्यथा-कथा है। महिलाओं को आज भी वह मान-सम्मान व आदर नहीं मिला है जिसकी कि वे हकदार हैं। दुनिया की आधी आबादी आधा पेट खाकर पूरे जग-संसार को पालती है। कहीं-कहीं प्रूफ की त्रुटि खलती है, किंतु वे नजरअंदाज करने योग्य हैं। श्रेष्ठ कविता संग्रह पर लेखक को साधुवाद।

पुस्तक : सुगंधिता (काव्य-संग्रह)
कवि : ललित भारद्वाज
प्रकाशक : माधुरी प्रकाशन
मूल्य : 225 रुपए

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