चंद्रभानजी की पत्नी को मनोवैज्ञानिक ने परामर्श दिया- 'आज रात जब वे शराब पीकर आए, तो उनसे नरमी और प्रेम से पेश आना।
आपका मधुर आचरण ही उनकी लत छुड़ा सकता है।'
रात होने पर चंद्रभानजी लड़खड़ाते हुए घर आए।
पत्नी ने बड़े प्यार से उनका कोट, जूते और मोजे उतारे और बोली- 'डार्लिंग, आओ सो जाएँ।'
चंद्रभानजी ने जरा झूमते हुए कहा- 'हाँ-हाँ,
घर जाकर तो चिड़चिड़ी बीवी की गुर्राहट ही सुननी है।