Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एक बालक की दलील पर सोच में डूब गए थे जिन्ना

हमें फॉलो करें एक बालक की दलील पर सोच में डूब गए थे जिन्ना
FILE

पाकिस्तान के संस्थापक मौहम्मद अली जिन्ना का मानना था कि हिन्दू और मुसलमान दो भिन्न संस्कृतियां हैं। जिनका मेल संभव नहीं है। पर जब एक बालक ने उनके इस विचार के विरुद्ध दलीलें पेश की तो वे सोच में डूब गए थे।

यह रहस्योद्घाटन पत्रकारिता के भीष्म पितामह कुमार नरेन्द्र पर तेजपाल सिंह धामा द्वारा लिखित पुस्तक 'पत्रकारिता के पुरोधा... : के नरेन्द्र' में हुआ है। पुस्तक में छपे एक लेख में बताया गया है कि नरेन्द्र के पिता कृष्ण उदारवादी व्यक्ति थे। वे कट्टरपंथी और अलगाववादियों से हमेशा दूरी बनाए रखते थे। जिन्ना ने मियां अहमदिया खां दौलताना की कोठी पर एक संवाद गोष्ठी की थी जिसमें हिन्दू और मुसलमान पत्रकार गए पर श्री कृष्ण नहीं गए। जिन्ना उनसे मिलना चाहते थे लेकिन वह उनसे मिलने को तैयार नहीं थे।

लेख के अनुसार जिन्ना एक दिन स्वयं कृष्ण से मिलने उनके घर आ गए, लेकिन संयोगवश वह उस समय घर पर नहीं थे। वहां मौजूद बालक कुमार नरेन्द्र ने उनका स्वागत किया और उनसे सवाल पूछा कि उनके जिन्ना, दादा हिन्दू थे फिर भी वह हिन्दुओं से घृणा क्यों करते हैं और अलग देश की मांग क्यों कर रहे हैं। इस पर जिन्ना ने कहा- हम हिन्दुओं से घृणा कहां करते है। हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग संस्कृतियां है। दोनों के कई सिद्धांत दूसरे के विपरीत है और विपरीत संस्कृति का एक साथ मेल संभव नहीं है।

बालक नरेन्द्र ने तपाक से उत्तर दिया कि विपरीत का ही तो एक साथ अच्छा मेल हो सकता है। उन्होंने कहा - विद्युत सेल में घनात्मक और ऋणात्मक धारा मिलकर ही तो विद्युत उत्पन्न करती है और यह सिद्धांत सृष्टि के हर क्षेत्र में एक शाश्वत सिद्धांत है।

इस पर जिन्ना ने पूछा - विद्युत सेल का और हिन्दू-मुस्लिम का आपस में क्या संबंध है? पर बालक नरेन्द्र कब चूकने वाले थे, उन्होंने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए तर्कपूर्ण लहजे में कहा - संबंध है। यदि यह दोनों कौम मिलकर रहेगी तो इनकी संयुक्त शक्ति को कोई चुनौती नहीं दे सकता और यदि दोनों अलग-अलग रहेंगी तो इनमें ऐसी शत्रुता हो जाएगी कि जब तक सृष्टि का अस्तित्व रहेगा। तब तक वह मिटने वाली नहीं होगी। इस सबके दोषी आप होंगे तथा इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा।

तब जिन्ना यह कहते हुए वहां से निकल पडे - बालक तुम बहुत तर्क करते हो, लेकिन जब तुम मेरे जीवन जितने पडा़व देख लोगे; तब तुम्हे वास्तविक अनुभव होगा।

लेख में बताया गया है कि जिन्ना के माथे पर उस समय चिंता की लकीर उभर आई थी। शायद वे मन ही मन सोच रहे थे कि इतनी अल्प आयु का बालक कितने गहरे मर्म की बात कह रहा है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi