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आयरन इरोम: टू जर्नीज : इरोम शर्मिला

इरोम शर्मिला के संघर्ष को बयां करती पुस्तक

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बालीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का मानना है कि सैन्य बल विशेषाधिकार कानून के विरोध में करीब 12 साल से भूख हड़ताल कर रही मणिपुरी सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की कहानी ‘बहुत मर्मस्पर्शी’ है।

शर्मिला टैगोर अक्षरा थिएटर में मिनी वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक ‘आयरन इरोम: टू जर्नीज’ पर परिचर्चा में भाग लिया। इस पुस्तक में इरोम शर्मिला की एक लंबी कविता शामिल है।

शर्मिला टैगोर ने कहा, 'इरोम' कहानी बहुत मर्मस्पर्शी है। उनका प्रदर्शन का तरीका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अहिंसक है। मैं शर्मिंदा हूं कि मुझे पांच साल पहले उनके बारे में पता चला। हमें उनके संघर्ष और इसके कारण के बारे में लोगों को जानकारी देने की आवश्यकता है।'

यह परिचर्चा संयोग से अफस्पा के 55 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुई। अफस्पा 22 मई 1958 को लगाया गया था। इरोम शर्मीला अफस्पा के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही हैं और अधिकारी उन्हें रबर पाइप की मदद से नाक के जरिये विटामिन, खनिज, प्रोटीन सहित अन्य सामग्री देने पर मजबूर हैं।

लेखिका एवं वृतचित्र निर्माता मिनी वैद्य ने कहा कि उन्होंने इस सामाजिक कार्यकर्ता के संघर्ष के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह पुस्तक लिखी है।

मिनी वैद्य ने कहा, 'मीडिया इरोम शर्मिला के संघर्ष पर बहुत कम ध्यान दे रहा है और ‘आयरन इरोम’ एक ऐसी पुस्तक है जो मैंने उनके लिए लिखी है जो इरोम शर्मिला को नहीं जानते हैं।' मणिपुर में महिलाओं ने कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया है जिसमें वर्ष 1904 का नूपी लाल का वह आंदोलन भी शामिल है जिसके कारण ब्रिटिश बंधुआ मजदूरी बंद करने पर मजबूर हुए थे।

महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ मणिपुर में महिला संगठन काफी सक्रिय हैं और मिनी का कहना है कि वह इन महिलाओं पर एक पुस्तक लिखना चाहती हैं जो इरोम शर्मिला के संघर्ष की नेतृत्वकर्ता बनी हुई हैं।

शर्मिला तक पहुंचने के लिए लंबे इंतजार के बाद लेखिका ने जेल में उनसे मुलाकात की थी और इस मुलाकात के बाद मिनी ने कहा कि यह सामाजिक कार्यकर्ता एक शानदार महिला है और वह इस कार्यकर्ता के अपने लक्ष्य को पाने के साहस और प्रतिबद्धता से काफी प्रभावित हैं।

मिनी इससे पहले छत्तीसगढ़ के डॉक्टर सह सामाजिक कार्यकर्ता विनायक सेन पर भी एक पुस्तक लिख चुकी हैं।

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