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पुस्तक, मेला और पाठक

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एक ओर अच्छी पुस्तकें पढ़ने को नहीं मिलतीं, दूसरी ओर ज्यादातर लोगों को यह मालूम नहीं होता कि पुस्तकें कहाँ से खरीदी जाएँ। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि प्रगति मैदान में चल रहे दिल्ली पुस्तक मेले को दर्शक और ग्राहकों का टोटा पड़ गया है। इसका एक कारण तो यही है कि आजकल बहुत सी जानकारियाँ और पुस्तकों की विषयवस्तु इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध है।

नई पीढ़ी के युवाओं के पास इतना समय नहीं है कि वह पूरा दिन किताबों को ढूँढने में लगाएँ। उन्हें यह ज्यादा आसान लगता है कि इंटरनेट पर ही अपनी जरूरत की चीजें ढूँढ ली जाएँ। जिस प्रकार से भारी संख्या में न्यूज चैनल आ जाने के बावजूद समाचारपत्रों की उपयोगिता और प्रमाणिकता व पाठकों की संख्या कम नहीं हुई। उसी प्रकार से इंटरनेट भी कभी पुस्तकों का स्थान नहीं ले सकता।

प्रगति मैदान के पुस्तक मेले में पाठकों या दर्शकों के कम संख्या में पहुँचने के पीछे कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे यहाँ आने का टिकट बड़ों के लिए 20 रुपए और बच्चों के लिए 10 रुपए का कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में जब किताबों को पाठक नहीं मिलते हों और प्रकाशकों व विक्रेताओं को खरीदार, तब लोगों के किताबों तक पहुँचने के लिए टिकट लगाया जाना उचित नहीं है।

पाठकों के लिए दूसरी सबसे बड़ी समस्या यातायात की भी है। पार्किंग, बस स्टॉप और मेट्रो स्टेशन से काफी दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता है। 20 रुपए के टिकट पर आईटीपीओ की ओर से इन स्थानों से निःशुल्क शटल सेवा चलाई जाती तो बेहतर होता।

पुस्तक मेले में आ

बच्चों के लिए कार्यक्रम। सभागार, हॉलसंख्या-8, प्रगति मैदान। सुबह : 10 बजे।

प्रकाशन विभाग, भारत सरकार का पुस्तक विमोचन कार्यक्रम। सभागार, प्रगति मैदान। दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक।

डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित जोगिंदर सिंह की 'सोच बदलो सफलता पाओ' का विमोचन कार्यक्रम। सभागार, हॉल संख्या-8, प्रगति मैदान। शाम 4 बजे।

इंडियन सोसायटी ऑफ ऑथर्स द्वारा गजल एवं गीत संध्या का आयोजन। सभागार, प्रगति मैदान। शाम 4:30 बजे।

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