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सहज स्वभाव वाले सर एडमंड हिलेरी

20 जुलाई : जन्मदिन पर विशेष

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वैभव माहेश्वरी
न्यूजीलैंड के एक संग्रहालय एमओटीएटी ने इस वर्ष उनके जन्मदिन के मौके पर 20 जुलाई से एक प्रदर्शनी शुरू करने की योजना बनाई है। संग्रहालय की मार्केटिंग मैनेजर एंजिला विलिस के अनुसार, ‘सर एडमंड न्यूजीलैंड के सर्वाधिक जानेमाने पर्वतारोहियों में से थे।
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विश्व के सर्वोच्च पर्वत शिखर पर सबसे पहले कदम रखने वाले सर एडमंड हिलेरी के अंदर इस साहसिक कार्य का जज्बा कूट- कूट कर भरा था लेकिन इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद भी उनका स्वभाव बहुत सहज और सरल था। सर एडमंड हिलेरी ने 29 मई 1953 को केवल 33 साल की आयु में नेपाल के पर्वतारोही शेरपा तेनजिंग नोर्गे के साथ माउंट एवरेस्ट पर पहली बार कदम रखा था।

माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल का कहना है कि इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बाद भी सर एडमंड हिलेरी हमेशा सहज और आम लोगों की तरह ही रहे।

सर हिलेरी से अपनी कुछ मुलाकातों का उल्लेख करते हुए बछेंद्री पाल ने कहा, ‘‘एक बार हम हिमालय महोत्सव में भाग लेने हाँगकाँग पहुँचे थे। सर हिलेरी भी वहाँ पहुँचे। वे वीआईपी गलियारे में बैठने के बजाय आम लोगों के बीच में ही रहे और बहुत सहजता से हम सभी से मिल रहे थे।’’ बछेंद्री पाल ने पर्वतारोही कर्नल प्रिंसटन की प्रेरणा से इस क्षेत्र में कदम रखा था और 1981 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से इस संबंध में पाठ्यक्रम किया था।

ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वाली पाल को कोर्स करने के बाद भारतीय पर्वतारोहण फांउडेशन की तरफ से माउंड एवरेस्ट की यात्रा पर जाने के लिए पत्र मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। सर हिलेरी की तरह माउंट एवरेस्ट पर जाने को लेकर पाल बहुत उत्साहित थीं।

बछेंद्री बताती हैं, ‘हमने सर हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे के बारे में केवल किताबों में पढ़ा था और जब पता चला कि हमें भी उनकी तरह विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृँखला पर जाने का अवसर मिलेगा तो खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस किया।’

न्यूजीलैंड में 20 जुलाई 1919 को जन्में सर हिलेरी को स्कूल के दिनों से ही पर्वतारोहण का शौक था और उन्होंने एवरेस्ट यात्रा के बाद हिमालय ट्रस्ट के माध्यम से नेपाल के शेरपा लोगों के लिए कई सहायता कार्य भी किए।

उन्होंने 1956,1960,1961 और 1963, 1965 में भी हिमालय की अन्य चोटियों पर पर्वतारोहण किया था। पिछले साल 11 जनवरी को न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

भारत सरकार ने पिछले साल उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। हिलेरी को 1985 में भारत में न्यूजीलैंड का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। नेपाल सहित अन्य कई देशों ने भी उन्हें अपने राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित किया। वह बांग्लादेश में न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त और नेपाल में राजूदत भी रहे।

सर हिलेरी 1958 में कामनवेल्थ ट्रांसअंटार्कटिक एक्सपिडीशन के तहत दक्षिणी ध्रुव गए थे। वह 1985 में नील आर्मस्ट्रांग के साथ एक छोटे विमान में उत्तरी ध्रुव गए थे। इस तरह वह दोनों ध्रुवों और माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने वाले पहले शख्स थे।

न्यूजीलैंड के एक संग्रहालय एमओटीएटी ने इस वर्ष उनके जन्मदिन के मौके पर 20 जुलाई से एक प्रदर्शनी शुरू करने की योजना बनाई है। संग्रहालय की मार्केटिंग मैनेजर एंजिला विलिस के अनुसार, ‘सर एडमंड न्यूजीलैंड के सर्वाधिक जानेमाने पर्वतारोहियों में से थे। इसलिए उनके सर्वाधिक प्रसिद्ध अभियानों की यादों से जुड़ी चीजों का प्रदर्शन कर उन्हें जन्मदिन के मौके पर श्रद्धांजलि दी जाएगी।'

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