माँचाँद देखकर होते हैं खुश बच्चेपर मुझे यह चाँद न सुहायाक्यों नहीं हुई खुशी इसे देखकरकभी भीन आँगन के थाल मेंन नदियों के जल मेंन नम आँखों मेंकहीं भी इसे देखकर खुशी नहीं हुई।ऎसा क्यों हुआ माँतुम बता सकती हो मुझेक्योंकि मैंने सुना हैमाएँ समझती हैंअपने बच्चों के मन को ठीक से।क्यों न ऎसा हो माँमुझे आन लो हमेशा के लिए
अपने पास
और तुम सुलाकर इस चाँद को
हटा दो मेरे मन से
मैं भूल जाऊँ कि चाँद होता ही नहीं।
क्या ऎसा हो सकता है माँ......|
साभार : वागर्थ