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खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी वाकी धार

खुसरो के दुर्लभ दोहे

हमें फॉलो करें खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी वाकी धार
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1. खुसरो पाती प्रेम की बिरला बांचे कोय!
वेद, कुरआन, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय!!

2. खुसरो सरीर सराय है, क्यों सोवे सुख चैन!
कूच नगारा साँस का; बाजत है दिन रैन!!

3. संतों से निंदा करे, रखे पर नारी से हेत!
बेनर ऐसे जायँगे, जैसे रेही का खेत!!

4. सोना-लेने पीऊ गए, सूना कर गये देस!
सोना मिला न पीऊ फिरे, रूपा हो गये केस!!

5. खुसरो सोई पीर है, जो जानत पर पीर!
जो पर पीर न जानई, सो काफ़िर-बेपीर!!

6. मोह काहे मन में भरे, प्रेम पंथ को जाए!
चली बिलाई हज्ज को, नौ सो चूहे खाए!!

7. प्रीत करे सो ऐसी करे जा से मन पतियाए!
जने-जने की पीत से, तो जनम अकारत जाए!!

8. भक्ति करे ऐसी करे, जान सके न कोए!
जैसे मेहंदी पात में, रंग रही दबकाए!!

9. सिंह गमन-सतपुरुष वचन, कदली फले एक बार!
तिरिया-तेल-हमीर हठ, खुसरो चढ़े न दूजी बार!!

10. खुसरो और 'पी' एक हैं, पर देखन में दोय!
मन को मन से तोलिये, तो दो मन कबहूँ न होय!!

11. कागा-काको धन हरे; कोयल किसको देय!
मीठे वचन सुनाय के; जग-अपनो कर लेय!!

12. खुसरो दरिया प्रेम का सो उल्टी वाकी धार!
जो उबरा सो डूब गया; जो डूबा वो पार!!

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