Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गुलमोहर, तुम्हें मेरी कसम

फाल्गुनी

हमें फॉलो करें गुलमोहर, तुम्हें मेरी कसम
ND
गुलमोहर,
तुम्हें मेरी कसम
सच-सच बताना
तुम्हारे सलोने रूप की छाँव तले
जब शर्माई थी मैं पहली बार
क्या नहीं मची थी
केसरिया सनसनी तुम्हारे
मनभावन पत्तों के भीतर,
जब रचा था मैंने
जिंदगी का पहला
गुलाबी प्रेम पृष्ठ
क्या नहीं खिलखिलाई थी तुम्हारी
ललछौंही कलियाँ,
सच-सच बताना गुलमोहर
जब पहली बार मेरे भीतर
लहरें उठीं थी मासूम प्रेम की
तब तुम थे ना मेरे साथ,
कितनी सिंदूरी पत्तियाँ झरी थी
तुमने मेरे ऊपर,
जब मैं नितांत अकेली थी तो
क्यों नहीं बढ़ाया अपना हाथ?
गुलमोहर, क्या तुम
बस अप्रैल-मई में पनपते प्यार के ही साथी हो

जुदाई के दिनों में
जब रोया मेरी आँखों का सावन
तुम क्यों नहीं आए मुझे सहलाने?
सच-सच बताना गुलमोहर,
क्या मेरा प्यार खरा नहीं था?
क्या उस वक्त तुम्हारा तन हरा नहीं था?
क्या तब आकाश का सावन तुम पर झरा नहीं था?

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi