रोहित जैन
आस बँधती है टूट जाती है
ज़िंदगी खेल यूँ दिखाती है
देख ज़ालिम के तेरे नाम से अब
सारी दुनिया मुझे सताती है
दिल पे रहता नहीं मेरा काबू
जब तेरी याद मुझको आती है
तू जहाँ देख ले नज़र भर के
वहाँ किस्मत भी मुस्कुराती है
खोई खोई सी तेरी आँखों में
ज़िंदगी झूम झूम जाती है
याद आ आ के मेरे ख़्वाबों में
तेरी तस्वीर ही बनाती है
तेरी नज़रों की मै-फ़रोशी की
दास्ताँ मैक़शी सुनाती है
तुझसे कहनी थी जो भी बात मुझे
सामने तेरे भूल जाती है
'रोहित' क्या जला तेरे दिल में
कोई शम्मा सी झिलमिलाती है।