Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

तुम मुझे हासिल हो, कदम भर की दूरी से

पंजाबी के क्रांतिकारी कवि पाश की कविता

हमें फॉलो करें तुम मुझे हासिल हो, कदम भर की दूरी से
वफा
बरसों तड़पकर तुम्हारे लिए
मैं भूल गया हूं कब से, अपनी आवाज की पहचान
भाषा जो मैंने सीखी थी, मनुष्य जैसा लगने के लिए
मैं उसके सारे अक्षर जोड़कर भी
मुश्किल से तुम्हारा नाम ही बन सका
मेरे लिए वर्ण अपनी ध्वनि खो बैठे हैं बहुत देर से
मैं अब लिखता नहीं-तुम्हारे धूपिया अंगों की सिर्फ
परछाईं पकड़ता हूं।

कभी तुमने देखा है-लकीरों को बगावत करते?
कोई भी अक्षर मेरे हाथों से
तुम्हारी तस्वीर बन कर ही निकलता है
तुम मुझे हासिल हो(लेकिन) कदम भर की दूरी से
शायद यह कदम मेरी उम्र से ही नह‍ीं
मेरे कई जन्मों से भी बड़ा है
यह कदम फैलते हुए लगातार
रोक लेगा मेरी पूरी धरती को
यह कदम माप लेगा मृत आकाशों को
तुम देश में ही रहना
मैं कभी लौटूंगा विजेता की तरह तुम्हारे आंगन में
इस कदम या मुझे
जरूर दोनों में से किसी को कत्ल होना होगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi