Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दर्द पुराना भूल गए

देवमणि पांडे

हमें फॉलो करें दर्द पुराना भूल गए
, गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010 (13:05 IST)
नई सदी के रंग में ढलकर हम याराना भूल गए
सबने ढूँढे अपने रस्ते साथ निभाना भूल गए।

शाम ढले इक रोशन चेहरा क्या देखा इन आँखों ने
दिल में जागीं नई उमंगें दर्द पुराना भूल गए।

ईद, दशहरा, दीवाली का रंग है फीका-फीका सा
त्योहारों में इक दूजे को गले लगाना भूल गए।

वो भी कैसे दीवाने थे खून से चिट्‍ठी लिखते थे
आज के आशिक राहे-वफा में जान लुटाना भूल गए।

बचपन में हम जिन गलियों की धूल को चंदन कहते थे।
बड़े हुए तो उन गलियों में आना जाना भूल गए।

शहर में आकर हमको इतने खुशियों के सामान मिले
घर-आँगन, पीपल-पगडंडी, गाँव सुहाना भूल गए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi