-
माखनलाल चतुर्वेदी
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी को हिन्दी साहित्य संसार में बडे़ आदर के साथ याद किया जाता है। ’एक भारतीय आत्मा’ के नाम से सुविख्यात श्री चतुर्वेदी राष्ट्रवादी कवि थे। वे प्रखर पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कुशल संपादक एवं बेबाक वक्ता थे। प्रभा एवं कर्मवीर जैसी उत्कृष्ट पत्रिकाएँ उनकी विलक्षण संपादन क्षमता का परिचय कराती है। उनकी रचनाओं का मुख्य स्वर देशभक्ति और अदम्य साहस का होता था। महात्मा गाँधी के प्रिय शिष्यों में से एक श्री चतुर्वेदी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेलयात्रा की। उनकी कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ भारतीय साहित्य की अनमोल धरोहर है। काव्य संसार में प्रस्तुत है उनकी लोकप्रिय रचनाएँ ------ चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, |
सुविख्यात श्री चतुर्वेदी प्रखर पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कुशल संपादक एवं बेबाक वक्ता थे। प्रभा एवं कर्मवीर जैसी उत्कृष्ट पत्रिकाएँ उनकी विलक्षण संपादन क्षमता का परिचय कराती है। |
|
|
चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना वनमाली !
उस पथ में देना तुम फेंक !
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक।
*****
दफना दें
लो इच्छाओं को दफना दें !
इस शरीर के कत्लगाह में
'इसकी' 'उसकी' वाह-वाह में
अंतर के गहरे अथाह में
आधी रात प्रभाती गा दें।
लो इच्छाओं को दफना दें !