शोभना चौरे
शीत की बंद कोठरी के द्वार से
अंधेरे को उजालों में लाया है वसंत।
महकती कलियों के लिए भौंरो का ,
प्रेम संदेश लाया है वसंत।
पीले से मुख पर वसंती आभा
बिखेरता हुआ आया है वसंत।
किसानों के लिए फसलों की सौगात
लेकर आया है वसंत।
जीवन को जीवन देने ,
फ़िर से आया है वसंत।
पढ़ते हुए बच्चों के लिए,
माँ सरस्वती का वरदान
लेकर आया है वसंत।