Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भस्मासुर : प्रभा मुजुमदार की 7 प्रभावी कविताएं

काव्य संसार

हमें फॉलो करें भस्मासुर : प्रभा मुजुमदार की 7 प्रभावी कविताएं
1. एक खास मकसद को लेकर
भस्मासुर
पैदा किए जाते हैं
पाले-पोसे जाते हैं
और छोड़ दिए जाते हैं निश्चित ठिकानों पर,
मजबूत किलों के सुरक्षित कक्षों में गूंजती है तालियां वाह-वाही
चलते है विजय जश्नों के दौर
अंतिम परिणामों की प्रतीक्षा के बीच।


2. भस्मासुर विश्रांति नहीं करते
राख के ढेर पर,
वे खिलखिलाते हैं अधिक आश्वस्त
अपनी शक्ति और आतंक से,
उनके हाथ लपकते हैं उन्हीं सिरों की ओर
जिन्होंने दिया होता है
सर्वनाश का वरदान और सामर्थ्य
स्वर्ग के सुख भोग के बीच, हतप्भ अचम्भित हो
कांप उठते है देव गण,
मंत्रणाओं और वार्ताओं के दौर,
तब रचे जाते है कूटनीति के चक्र,
इतिहास
यही दोहराता है बार बार।


3. भस्मासुरों,
तुम रौन्दों,
मारो, जलाओ,
निरीह और मासूमों को
किसी की चुप्पी नहीं टूटेगी,
डर से भागते लोगों की बेबसी देखते रहेंगे
निर्विकार आंखों पर पट्टी बांध कर,
मगर जाने-अनजाने
न आ पाए किसी समर्थ पर कोई आंच,
नहीं तो खत्म हो जाएगा तुम्हारा खेल उसी वक्त,
काट दिए जाएंगे हाथ, वापिस ले लिए जाएंगे अस्त्र,
भस्मासुरों
जान लो अपनी सीमाएं।


4. कितने भी शातिर हों
भस्मासुरों को पैदा करने वाले दिमाग,
कितनी ही मारक
उनकी रणनीति,
रह ही जाती है लेकिन
कहीं पर कोई खामी,
समय के किसी अंधे मोड़ पर घिर ही जाते हैं वे
अपने रचे चक्रों में, कितना ही मजबूत
उनका सुरक्षा तंत्र, भेद कर
आ ही खड़ा होता है उनके सम्मुख काल,
जान कर भी यह तथ्य
कहां रूका है भस्मासुरों को पैदा करने का सिलसिला।


5. क्या होगा
फिर एक भस्मासुर के
मारे जाने से,
उनके कारखानों की नींव तो तुमने ही डाली है अपने आंगन में,
नई तकनीक और उपकरण लिए वह प्रयोगशाला
जिसमें ईजाद होते हैं विध्वंस के फार्मूले
तुम्हारे ही संबल से तो.. कभी तो हवा की दिशा बदलेगी,
मौत का विकिरण
पहुंचेगा ही तुम्हारे कक्षों में।


6. भस्मासुर
अपने को सर्वशक्तिमान समझ बैठे हैं,
कितने मूर्ख हैं जानते नहीं
किस डोर पर नाच रहे हैं,
किस चाभी से उछल रहे हैं.
प्रयोग हो रहे हैं
किसके विरुद्ध,
कब तक रहेगी उनकी उपयोगिता,
और क्या होगा उनका
उपयोगिता के खात्मे पर,
भस्मासुर अंधे हैं दीवारों पर लिखी इबारत
पढ़ नही पा रहे हैं।


7. भस्मासुर
कभी खत्म नहीं होते,
अपनी ही राख से संजीवनी पाकर
उठ खड़े होते हैं, फिर-फिर पाते हैं विध्वंस शक्ति का वरदान
प्रतिस्पर्धाओं के खेल में उनकी उपयोगिता खत्म नहीं होती।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi