हमारे अच्छे कर्मों से खुश होते हैं भगवान
अपने कर्म को ही बनाए पूजा...
भगवान माला और माल से राजी नहीं होते, बल्कि हमारे कर्मों से प्रसन्न होते हैं। गीता निष्काम कर्मों के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताती है। श्रेष्ठ कर्मों को ही सच्ची भक्ति समझो। इसीलिए अपने कर्मों को ही पूजा बना लो।
जिस प्रकार कमल के पत्ते पानी में रहते हुए भी जल को अपने ऊपर नहीं आने देते। ऐसे ही निष्काम कर्मयोगी संसार में रहते हुए भी कर्मों के बंधन तथा मोह में आसक्त नहीं होते है।
गीता संसार को कर्मशील व पुरुषार्थी होने का संदेश देती है। वह हमारे मन में स्वार्थ, लोभ, अहंकार से ऊपर उठकर निष्काम व परोपकार के कर्मों की भावना जागृत करती है। वह श्रेष्ठ कर्म करते हुए इहलोक तथा परलोक दोनों के लिए उन्नति करने के लिए प्रेरणा देती है। हे मनुष्यों, वर्तमान जीवन और जगत् को कर्मों की सुगंध से भरते चलो। कर्त्तव्य व दायित्व को ईमानदारी व कुशलता से निभाओ।