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इक बंगला बने न्यारा...

नए घर का निर्माण, वास्तु के अनुसार

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भूखंड पर किसी भी प्रकार का जल संसाधन लगवाना हो तो इसके लिए सदैव (हैण्डपम्प, कुंआ, जेटपम्प आदि के लिए) उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात्‌ ईशान कोण ही सही रहता है।

भवन में खिड़कियां तथा रोशनदानों के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य घर में शुद्ध वायु का आगमन है।

खिड़कियां तथा रोशन दानों का निर्माण सदैव दरवाजे के पास ही करें।

दरवाजे के सामने या बराबर में खिड़कियां होने से चुंबकीय चक्र पूर्ण हो जाता है, जिससे भवन में सुख-शांति का वास होता है।

खिड़की तथा रोशनदानों के निर्माण के लिए पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर दिशा श्रेष्ठ एक शुभ फलदायक होती है।

वायु प्रदूषण से बचाव के लिए घरों में शुद्ध वायु जिन दिशाओं से प्रवेश करे उनके विपरीत दिशाओं में एक्जॉस्ट फैन लगवाएं।

भवन के उस भाग में जहां दो दीवारें मिलती हैं, खिड़कियां तथा रोशनदानों का निर्माण वहां न करवाएं। यह अशुभकारी निर्माण होता है।

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जब कोई व्यक्ति मुख्यद्वार में प्रवेश करता है तो मुख्य द्वार से निकलने वाली चुम्बकीय तरंगें उसकी बुद्धि को प्रभावित करती हैं।

द्वार का भी सही दिशा में बनवाना आवश्यक है।

प्रवेश द्वार सदैव अंदर की ओर खुलना चाहिए।

प्रवेश द्वार दो पल्लों में हो तो बहुत ही उत्तम है।

द्वार स्वतः ही खुलना व बंद होना नहीं चाहिए।

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