1. भवन के लिए चयन किए जाने वाले प्लॉट की चारों भुजा राइट एगिंल (90 डिग्री अंश कोण) में हों। कम ज्यादा भुजा वाले प्लॉट अच्छे नहीं होते।
2. प्लाट जहाँ तक संभव हो उत्तरमुखी या पूर्वमुखी ही लें। ये दिशाएँ शुभ होती हैं और यदि किसी प्लॉट पर ये दोनों दिशा (उत्तर और पूर्व) खुली हुई हों तो वह प्लॉट दिशा के हिसाब से सर्वोत्तम होता है।
3. प्लाट के एकदम लगे हुए, नजदीक मंदिर, मस्जिद, चौराह, पीपल, वटवृक्ष, सचिव और धूर्त का निवास कष्टप्रद होता है।
4. पूर्व से पश्चिम की ओर लंबा प्लॉट सूर्यवेधी होता है जो कि शुभ होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर लंबा प्लॉट चंद्र भेदी होता है जो ज्यादा शुभ होता है ओर धन वृद्धि करने वाला होता है।
5. प्लॉट के दक्षिण दिशा की ओर जल स्रोत हो तो अशुभ माना गया है। इसी के विपरीत जिस प्लॉट के उत्तर दिशा की ओर जल स्रोत (नदी, तालाब, कुआँ, जलकुंड) हो तो शुभ होता है।
6. प्लॉट के पूर्व व उत्तर की ओर नीचा और पश्चिम तथा दक्षिण की ओर ऊँचा होना शुभ होता है।