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बौद्ध संस्कृति का देश भूटान

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नेहा मित्तल
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यदि भूटान के किसी निवासी के साथ आपकी मुलाकात हुई हैं और उनकी कहीं बातों को समझ नहीं पा रहे हैं तो चौंक मत जाइएगा क्योंकि यहाँ के निवासी डज़ोगका, भाषा में आपके साथ वार्तालाप कर रहहैं। थिम्फू यहाँ की राजधानी है। भूटान विश्व के एक अद्‍भुत देश के नाम से जाना जाता है। क्यों? इसका रहस्य बहुत ही आश्चर्यजनक है क्या कभी आपने किसी ट्रैफिक पुलिस को अपने पारम्परिक नृत्य के द्वारा चलती ट्रैफिक को गाईड करते देखा है। शायद नहीं एक खासियत है इस शहर में कोई ट्रैफिक लाईट नहीं लगाई गई है इसके बावजूद बड़ी आसानी से ट्रैफिक यहाँ पर चलता है

पारम्परिक बुद्धिस्ट मुहरों तथा डिजाइनों निवास भवन पर अंकित किए गए हैं। इस शहर के चारों ओर हरियाली छाई हुई है जंगलों एवं पहाड़ों के मध्य में शहर के निवासी यहाँ पर खुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। नोर्रजि़न लाम में प्रमुख रास्ते दुकानें, रेस्टोरेंट, रिटेल आर्केड, एवं अन्य सार्वजनिक इमारतें स्थित हैं।

थिम्फू में मेमोरियल कोर्टन स्टूपा 1974 में राजा जि़गमी डोरजी वांगचुक की स्मृति में बनाया गया था। जो चित्रकला तथा छवि इस स्मारक में पाई जाती है वह बौद्ध तत्वज्ञान से जुड़ी हुई है

टेशिछो डज़ोग जो कि 1960 में पूर्ण रूप से निर्माण किया गया था। यहाँ के प्रमुख सचिवालय भवन हैं। पहले संन्यासी की एक टुकड़ी यहाँ पर रहती थी। यह भवन थिम्फू त्योहार के दौरान दर्शकों के लिए खुले रहते हैं।

  यदि आप यहाँ के इतिहास को जानना चाहते हैं तो यहाँ के प्रसिद्ध नेशनल पुस्तकालय में जा सकते हैं। हजारों पांडुलिपियाँ एवं पौराणिक पुस्तकें इस पुस्तकालय में मिलती हैं। भूटान का इतिहास प्राचीन पुस्तकों में लिखित है।      
यदि आप यहाँ के इतिहास को जानना चाहते हैं तो यहाँ के प्रसिद्ध नेशनल पुस्तकालय में जा सकते हैं। हजारों पांडुलिपियाँ एवं पौराणिक पुस्तकें इस पुस्तकालय में मिलती हैं। भूटान का इतिहास प्राचीन पुस्तकों में लिखित है

चित्रकला से संबंधित स्कूलों में बच्चे यहाँ के प्राचीन चित्रकला को सीख रहे हैं। बच्चों को यह शिक्षा मुफ्त दी जाती है।

भगवान बुद्ध के डोरडेम्मा की प्रतिमा थिम्फू में स्थित है तथा विश्व में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा कुइंसल फोडरंग में निर्मित की जा रही है। 2008 तक यह प्रतिमा बनाई जा रही है।

नेशनल पोस्ट आफिस में भूटान के प्रसिद्ध टिकट का निर्यात यहाँ पर होता है और यह विश्व भर में पहला देश है जहाँ पर टिकट का निर्यात हो रहा है।

नेशनल संग्रहालय जो कि पारो में पौराणिक एवं कीमती टिकट प्रदर्शित किए गए हैं। जहाँ पर क्लॉक टावर स्क्वायर है वहाँ पर विभिन्न प्रकार के दुकान तथा रेस्टरेंट में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली वस्तुएँ यहाँ पर उपलब्ध हैं। फुव्वारे एवं पारम्परिक भूटान के प्राथर्ना चक्र यहाँ पर स्थित हैं। एक तरफ भूटान का प्रसिद्ध ड्रक होटल स्थित है। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम यहाँ पर आयोजित किए जा रहे है। सार्क की रैली भी इस स्थान से प्रारम्भ होती है

नेशनल फ्लोक हेरिटेज संग्रहालय में भूटान के पारम्परिक निवास स्थान एवं जीवन शैली को दर्शाया गया है। भूटान के पारम्परिक संस्कृति के विषय पर आप जान सकते हैं। भूटान के नृत्य तथा प्रदर्शनी इस संग्रहालय के कम्पाउन्ड में आयोजित की गई है। नेशनल इंस्टीट्‍यूट ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन यहाँ पर स्थित है जहाँ पर एक छोटा सा संग्रहालय भी इस कम्पाउन्ड में स्थित है

भगवान बुद्ध ने भूटानवासियों को आशीर्वाद है कि बौद्ध धर्म के इस स्थान पर संस्कृति, सभ्यता तथा इतिहास वर्षों तक अपने नवीनतम रूप में ही रहेंगे। व्रजयना बौद्ध धर्म यहाँ के मुख्य धर्म हैं। यहाँ के निवासियों ने अपने परम्परा के अनुसार विनम्रतापूर्वक पर्यटकों का स्वागत करते हैं।

मुख्य रूप से मठ पर हजारों बौद्ध भक्त एकत्रित होकर यहाँ पर प्रार्थना करते हैं। मठ की भीतरी हिस्से में विशाल प्रार्थना घंटी यहाँ पर बजती है। ऐसा माना जाता है कि मठों में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। बौद्ध धर्म के रीति रिवाज अनूठे हैं तथा अभी भी अपने जागृत रूप में हैं

दिल्ली के ड्रक हवाई जहाज से भूटान के एयरलाइंस के माध्म से पर्यटक भूटान पहुँच सकते हैं।

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