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भारत का गुलाबी शहर जयपुर

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भारत के सांस्कृतिक तथा पारम्परिक राज्यों में से राजस्थान मुख्य माना जाता है। रेगिस्तान पर चल रहे ऊँट पर सवार होकर पूरे क्षेत्र का जायजा लेते हैं। प्राचीन सभ्यता में डूबे हुए शहर की विविधता हर रूप में उभर कर आती है।

जयपुर, दिल्ली, और आगरा भ्रमणकारियों के मुख्य पर्यटन स्थल हैं। व्यापारिक केंद्र होने के साथ-साथ जयपुर, राजस्थान की राजधानी है। राजा महाराजाओं के बनाए गए यह महल, किले भारत की सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। गुलाबी रंग से सुसज्जित किए हुए इस शहर में विभिन्न प्रकार के किले एवं महल जैसे कि नाहरगढ़, अमेर, जगार्ह, एवं मोती डुंगरी शांत स्मारक स्थित है। नए रूप में ढला हुआ इस शहर में यातायात करना आसान है। किले, महलों एवं नेशनल पार्क के इलावा वहाँ के बाज़ार 200 साल पुराना है।

सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल-

सिटी महल
सन् 1927 में स्वामी जय सिंह ने अजमेर, जयगढ़ तथा नाहरगढ़ जैसे किले देखे हैं। महल का वास्तुशिल्प एक अनोखे परंतु आकृष्ट ढंग से किया गया था। इस आकर्षक स्मारक की विशालता एवं सुंदरता को देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध रह जाते हैं।

महलों के द्वार में प्रवेश कर खूबसूरत आँगन, वाटिका का नजारा देखने को मिलता है।
मुबारक महल में कदम रखते ही उसकी सुंदरता को देख कर स्तब्ध होकर रह जाते हैं।
संगमरमर फर्श पर बनी प्रतिमाओं में उस समय के मूर्तिकारों की कला झलकती है। वहाँ के राजशाही मेहमान खाना को माहाखआमा खास में परिवर्तित किया गया था।

हवा मह
जयपुर के प्राचीन स्मारकों में से सबसे प्रसिद्ध इमारत है हवा महल। विभूति रूप के अर्थ आठ मुखी आकार के खिड़कियाँ, चंद्राकार रूप के छत एवं गुंबद वहाँ की वास्तुकला को दर्शाती है। सन् 1799 में स्वराज प्रताप सिंह ने राजशाही से जुड़ी महिलाओं के लिए महल निर्मित किया था, ताकि वे झाँकियों एवं जुलूसों को देख सकें।


यहाके स्वादिष्ट व्यंजन पर्यटकों को बहुत रास आते हैं। दाल-बाटी, चूरमा मुख्य व्यंजन है। एमआई रोड पर मन को लुभाने वाली विभिन्न
प्रकार की वस्तुएँ मिलती हैं।

चोखी ढाणी में पारम्पिरक सभ्यता के अनुसार भोजन परोसा जाता है। तरह-तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं। जैसे कि गतला, खेर सारंगी, बाजरे की रोटी एवं लहसुन-मिर्ची की चटनी

ग्रामीण सभ्यता के अनुसार शर्मा ढाबा में नान, चटनी एवं पनीर मसाला बहुत ही लोकप्रिय है।

खरीदारी के लिए
पर्यटकों के पास अनगिनत वस्तुएँ उपलब्हैखरीदने के लिए। ब्लॉक प्रिंटिंग, बंधिश, रजाई, वस्त्र, पारम्परिक तरीके से बनाए गए सोने एवं चाँदी के गहने मिलते है।

जौहरी बाजार के गोपालजी के रास्ते में कई प्रकार के गहने मिलते हैं। संगानेर क्षेत्र हाथ से कारीगरी किए हुए कपड़े पर ब्लॉक प्रिंट की गई थी

कैसे पहुँचें -
हवाई जहाज
जयपुर संगानेर हवाई अड्डा के माध्यम से पहुँच सकते हैं। टैक्सी के मीटर का दाम है 200 रुपए।

ट्रेन
जयपुर स्टेशन दिल्ली से जुड़ा हुआ है। अजमेर शताब्दी एवं दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस के माध्यम से।

मुंबई सेंट्रल- जयपुर एवं अरावली एक्सप्रेस से पहुँच सकते हैं।

राजमार्ग
एनएच-8 दिल्ली जयपुर से जुड़ा हुआ है। जयपुर से 256 किलोमीटर की दूरी से शाहपुरा एवं धारूधेरा के रास्ते से पहुँचते हैं।


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