रामकृष्ण परमहंस का सहज भाव
जब कमेटी के सदस्य हुए निरुत्तर...
एक बार रामकृष्ण परमहंस को दक्षिणेश्वर में पुजारी की नौकरी मिली। उनका 20 रुपए वेतन तय किया गया, जो उस जमाने के समय के लिए पर्याप्त था। लेकिन 15 दिन ही बीते थे कि मंदिर कमेटी के सामने उनकी पेशी हो गई और कैफियत देने के लिए कहा गया।
दरअसल एक के बाद एक अनेक शिकायतें उनके विरुद्ध कमेटी तक जा पहुंची थीं। किसी ने कहा कि- यह कैसा पुजारी है, जो खुद चखकर भगवान को भोग लगाता है, तो किसी ने कहा फूल सूंघ कर भगवान के चरणों में अर्पित करता है।
उनके पूजा के इस ढंग पर कमेटी के सदस्यों को बहुत आश्चर्य हुआ था।