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जीवन : परमात्मा का दिव्य उपहार

जिंदगी को काटें नहीं, जीना सीखें

हमें फॉलो करें जीवन : परमात्मा का दिव्य उपहार
- ॉ. चंद्रशेखर शास्त्री
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मानव जीवन परमात्मा का दिव्य उपहार है। जिंदगी को जीना सीखें। कुछ लोग जिंदगी को जीते हैं, कुछ लोग काटते हैं। जिसको जीना और जाना आ गया वह जीवन में सफल हो गया।

हे मनुष्य एक दिन भी जी, अटल विश्वास बनकर जी।
कल नहीं तू जिदंगी का, आज बनकर जी

सफल जीवन के लिए शास्त्रकारों ने कहा है-

'ब्राह्मो मुहूर्ते बुध्येत, धर्मार्थों चातुचिन्तयेत्‌' अर्थात्‌ व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में जागे और धर्म एवं अर्थ के विषय में चिंतन करें। शास्त्रकारों ने यह कभी नहीं कहा कि व्यक्ति अर्थोपार्जन न करे। वह अर्थोपार्जन करे किंतु धर्मपूर्वक, अधर्मपूर्वक नहीं।

हमें न तो आध्यात्मिकता की उपेक्षा करनी है न भौतिक सुख सुविधाओं की है। ब्रह्म मुहूर्त में व्यक्ति जितना अच्छा चिंतन कर सकता है उतना दूसरे समय में नहीं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह सर्वोत्तम समय है। बिल कोस्बो ने इस संदर्भ में कहा है कि मुझे नहीं मालूम कि कामयाबी पाने की कुंजी क्या है, पर हर आदमी को खुश करने की कोशिश करना ही नाकामयाबी की कुंजी है।

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जीवन में यदि आप सफल होना चाहते हैं तो प्रसन्न रहने की आदत डालिए, क्योंकि सफलता और प्रसन्नता का चोली दामन का साथ है। हम जो चाहें हमारे जीवन का जो लक्ष्य हो उसे पा लें यह सफलता है और जब मन चाहे लक्ष्य को पा लेंगे तो स्वभावतः प्रसन्नता का अनुभव करेंगे।

हम जिंदगी को काटे नहीं, सच्चे अर्थों में जीएं। हम निरंतर परिश्रम करें। जॉन एच रोटस ने अपने संदेश में कहा है-

सिर्फ जिंदगी न गुजारो-जीओ,
सिर्फ छुओ नहीं महसूस करो,
सिर्फ देखो नहीं गौर करो,
सिर्फ पढ़ो नहीं जीवन में उतारो

हमारा जीवन बहिर्मुखी न होकर अंतर्मुखी होना चाहिए। उसमें उथलापन नहीं, आडंबर नहीं, गंभीरता होनी चाहिए। हमारे आदर्श ऊंचे होने चाहिए और विचार सात्विक। बाहरी साज-सज्जा, शरीर की चमक दमक से कोई व्यक्ति न तो महान बन सकता है, न ही सफलता उसके चरण चूमती है।

इस संदर्भ में मुझे एक दृष्टांत याद आ रहा है- एक गुब्बारे वाला अपने गुब्बारों को बेचने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहा था, पर उसके गुब्बारे को कोई नहीं खरीद रहा था। उसे एक तरकीब सूझी।

उसने अपने कुछ गुब्बारे आसमान में उड़ा दिए। तब बच्चे उसे घेरकर खड़े हो गए और उसके गुब्बारे दनादन बिकने लगे। उन बच्चों में से एक ने गुब्बारे वाले को पीछे से पकड़ा और पूछा- अंकल, क्या आप काले गुब्बारों को भी इसी प्रकार उड़ा सकते हैं। बच्चे के इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया।

बच्चे की ओर मुड़कर उस गुब्बारे वाले ने जवाब दिया- बेटे! उड़ने की शक्ति इन गुब्बारों के रंगों में नहीं। इसके भीतर भरी गई गैस में है। कहने का आशय यह है कि मनुष्य की सफलता का रहस्य उसके रंग-रूप गोरे या काले होने में नहीं, आंतरिक गुणों में निहित है।

जिसके पास जितनी आंतरिक ऊर्जा होगी, वह व्यक्ति जीवन में उतना ही अधिक सफल होगा। यह जीवन एक क्रिकेट के खेल की तरह है। खेलने वाला एक है और उसको आउट करने वाले बहुत होते हैं। चाहे वह कैच आउट करे या रन आउट करें उनकी कोशिश यही रहती है। लेकिन आपका काम है कि एक सम्मानित स्कोर बनाकर ही मैदान से हटने का नाम लें।

देखो तो ख्वाब है जिंदगी,
पढ़ो तो किताब है जिंदगी।
सुनो तो ज्ञान है जिंदगी,
मिलो तो महान है जिंदगी।
हंसो तो आसान है जिंदगी,
रोवो तो वीरान है जिंदगी।
पूछो तो सवाल है जिंदगी।

सफलता को पाने के लिए धैर्य, आत्मसंयम, परिश्रम, दृढ़विश्वास, लगन, कार्य के प्रतिनिष्ठा, त्याग, तपस्या, सूझबूझ, बुद्धिमत्ता, दूसरों के प्रति सम्मान की भावना, कृतज्ञता, ईश्वर में विश्वास आदि का होना नितांत आवश्यक है।

आलस्य का परित्याग एवं निरंतर क्रियाशीलता के बिना जीवन में किसी व्यक्ति को बड़ी सफलता नहीं मिली है।

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