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चाणक्य नीति - अध्याय 3

चाणक्य नीति अध्याय के अमर वाक्य....

हमें फॉलो करें चाणक्य नीति - अध्याय 3
* एक ऐसा बालक जो मृत जन्मा था, एक मूर्ख दीर्घायु बालक होने से काफी बेहतर है, क्योंकि मृत जन्मा बालक तो एक क्षण के लिए दुख देता है, लेकिन मूर्ख बालक अपने माता-पिता को जिंदगी भर दुख की अग्नि में निरंतर जलाता रहता है।

* सौ गुणरहित पुत्रों से एक गुणी पुत्र ही अच्छा है, क्योंकि एक चंद्रमा ही रात्रि के अंधकार को भगाता है। जबकि रात्रि में आकाश में असंख्य तारे होकर भी यह काम नहीं कर सकते।

चाणक्य के अमर सूत्



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* वह गाय किसी योग्य नहीं, जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है। उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ।

* मनुष्य जन्म के पूर्व निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है....।
* व्यक्ति कितने साल जिंदा रहेगा,
* वह किस प्रकार का काम (व्यवसाय) करेगा,
* उसके पास कितनी धन-संपत्ति होगी,
* उसकी मृत्यु कब और कैसे होगी।

चाणक्य के अमर सूत्



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* पुत्र, रिश्ते-नातेदार, मित्र आदि संत-साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो मनुष्य साधुओं का अनुसरण करते है उनमें भक्ति की भावना जागृत होती है और उनके उस पुण्यस्वरूप उनका सारा कुल धन्य हो जाता है।

* जैसे कछुआ ध्यान देकर, मछली दृष्टि से और पक्षी स्पर्श करके अपने बच्चों को पालते हैं, वैसे ही संत-महापुरुषों की संगती मनुष्य का पालन-पोषण करती है।

चाणक्य के अमर सूत्


कुछ बातें किसी भी मनुष्य को बिना आग के ही जलाती है.... । जैसे -
* जिसका पुत्र मूर्ख हो।
* जिस व्यक्ति की पुत्री विधवा हो गई हो।
* जिसकी पत्नी हमेशा ही गुस्से में रहती हो।
* निरंतर अस्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन करना।
* एक छोटे-से गांव में जाकर बस जाना, जहां रहने की सुविधाएं उपलब्ध न हो।
* एक ऐसे आदमी के यहां नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ हो।




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