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जूही चावला का जन्मदिन

हँसते चेहरे अच्‍छे लगते हैं

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जन्मदिन : 13 नवंब

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प्यारे दोस्तो, आप दिन में कितनी बार मुस्कुराते हो। मैं तो बहुत मुस्कुराती हूँ। मुस्कुराने से परेशानी कम हो जाती है। टेंशन नहीं रहता और आपसे मिलने वालों की टेंशन भी कम हो जाती है। मेरी फिल्मों में भी तो आप मुझे खूब हँसता हुआ देखते होंगे। हँसी-मजे वाले सीन करने में मुझे ज्यादा अच्छा लगता है। बच्चे मुझे इसलिए भी अच्छे लगते हैं कि क्योंकि वे ज्यादातर हँसते हुए मजे में रहते हैं।

दोस्तो, मैं लुधियाना में पैदा हुई। यहीं पर मैंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की। और जैसे ही मेरी स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई हमारा परिवार मुंबई आ गया। कॉलेज की पढ़ाई मैंने मुंबई के एक कॉलेज से की। स्कूल और कॉलेज दोनों में मैं खूब एक्टिव रही। वैसे तो बचपन से लेकर कॉलेज के दिनों तक माता-पिता से मुझे बहुत सी बातें सीखने को मिली। स्कूल में मैंने जतना नहीं सीखी उससे कहीं ज्यादा मैंने घर पर अपने माता-पिता से पाया।

हमारे परिवार में तौर-तरीकों से रहने का बड़ा महत्व था। पापा पंजाबी थे और मम्मी गुजराती। इन ‍दोनों के कारण मुझे दो संस्कृतियों की अच्छी बातें जानने को मिली। एक खास बात बचपन में यह रही कि पापा को अनुशासन बहुत पसंद था और इसलिए सारे काम नियम से करने पड़ते थे। बचपन में मुझे खूब अच्छे दोस्त भी मिले। इनके साथ दोस्ती आज भी बनी हुई है।

दोस्तो, अपने कॉलेज के बाद मैंने मिस इंडिया कांटेस्ट में हिस्सा लिया और इसमें जीती भी। इसके बाद मियामी में होने वाली मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भी मुझे भाग लेने का मौका मिला। मेरी पहली विदेश यात्रा मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के कारण ही हुई थी। उसके पहले तक मैं कभी विदेश नहीं गई थी। जब मैं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में पहुँची तो उन दिनों मैं दुनिया से बहुत से देशों में आने वाली लड़कियों से मिलकर आश्चर्यचकित रह गई थी। लोग कितना कुछ सोचते हैं और करते रहते हैं। यह मैंने इस प्रतियोगिता में जाकर ही जाना था। यहाँ मैं क्राउन भी नहीं ला सकी पर सीखने को बहुत कुछ मिला।

हर मौके पर जीत ही मिले ऐसा नहीं होता। कई बा हार से सीखने की आदत भी डालना चाहिए। जो अपनी ग‍लतियों से सीखते हैं वे आगे बढ़ते हैं। मैं भी अपनी गलतियों को सुधारने की पूरी कोशिश करती हूँ। ऐसा करने वाला खुद को बेहतर करता चला जाता है। आप ऐसा करते हो या नहीं? याद रखो एक टेस्ट में जो गलती हो उसे अगले में नहीं दोहराना। गलती करो तो उसे सुधारो भी। यह छोटी सी बात बड़े काम की है।

दोस्तो, शुरुआत में मैं बहुत कम बोलती थी ज्यादा बातें करना मुझे पसंद नहीं था। पर जब पहली फिल्म चली तो लगा कि बिना बोले एक्टिंग नहीं हो सकेगी तो फिर सारी चीजें सीखीं। पहली फिल्म में डायरेक्टर ने मुझे बहुत सी बातें सिखाई। इसलिए सिर्फ अच्छी सूरत से ही अभिनेत्री नहीं बना जा सकता है बल्कि अच्छे डायलॉग भी और अभिनय करते आना ज्यादा जरूरी होता है। यह बात मुझे पहली फिल्म के बाद ही समझ आई। खैर दूसरी फिलन्म से तो मैंने गोल पर गोल करने शुरू कर दिए। बात जो समझ आ गई थी और फिर जूही स्टार जूही चावला बन गई।

दोस्तो, मैं अपनी बेटी जाह्ववी और बेटे अर्जुन को ज्यादा टेलीविजन देखने से मना करती हूँ। टेलीविजन पर बेकार सीरियल देखने के बजाय कुछ काम की किताबें पढ़ना उनके लिए ज्यादा अच्छा हो सकता है। वैसे अगर आगे चलकर वे एक्टिंग करना चाहेंगे तो मैं उन्हें मना नहीं करूँगी पर ये दिन उनके लिए पढ़ाई और दूसरी चीजें सीखने के हैं। बचपन में सिर्फ घंटों तक टेलीविजन देखते रहने से ज्यादा सीखने को नहीं मिलता है। इसके बजाय कुछ न कुछ रचनात्मक काम करना चाहिए। पिछले दिनों मैंने बच्चों के लिए 'भूतनाथ' फिल्म में काम किया था। और बच्चों के लिए बनी 'अदालत' में भी मेरा रोल है। ये फिल्में तुम्हें कैसी लगी?

आपकी दोस्त
जूही

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