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महात्मा गांधी के स्वर्णिम वचन

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* निरंतर विकास ही जीवन का नियम है। जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के चक्कर में हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है, वह खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।

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* विश्व के समस्त धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हो, लेकिन इस बात पर सभी एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य ही हमेशा जीवित रहता है।

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* जीवन में सही मायने में किया गया थोडा-सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।

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* आप पर पहले वो ध्यान नहीं देंगे, फिर वो हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे।

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* जीवन में जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।

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* मौन जीवन का सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।

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* व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है, जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।

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* जीवन में हो रही अपनी गलतियों को स्वीकार करना, झाडू लगाने के सामान है। जो झाडू लगने के पश्चात सतह को चमकदार और साफ कर देती है।

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