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माँ की याद

23 जुलाई : चंद्रशेखर आजाद जयंती

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शिवकुमागोयल

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चंद्रशेखर आजाद अपनी माँ के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। एक बार पुलिस उनके पीछे थी वे अपनी माताजी के चरणस्पर्श करने पहुँचे। पुलिस ने मकान को घेर लिया किंतु वे किसी प्रकार वहाँ से निकल भागने में सफल हो गए। वे भूमिगत जीवन बिता रहे थे। एक दिन धरती को माथा टेकते हुए वह कुछ बुदबुदाने लगे और देखते ही देखते उनकी आँखों में अश्रुधारा बह निकली।

उनके पास कमरे में बैठे उनके क्रांतिकारी साथी ने देखा तो पूछा - 'पंडित जी, आपकी आँखों में आँसू क्यों हैं? क्या कोई बुरा सपना तो नहीं देखा है? अरे भैया, मैंने अपनी पूज्य माताजी के वर्षों से न तो दर्शन किए हैं। आज सवेरे सोकर उठा कि उनकी याद आ गई। धरती पर माथा टेककर उन्हीं का वंदन कर रहा था। आजाद ने बताया।

आजाद हमेशा कहा करते थे कि जो अपने को जन्म देने वाली माँ का सम्मान नहीं करता, उसके स्नेह आशीर्वाद का पात्र नहीं बनता, वह कभी भी अपनी भारत माता के प्रति निष्ठावान नहीसकता

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