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अफगानिस्तान में जीत नहीं रहा है अमेरिका

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न्यूयॉर्क (भाषा) , रविवार, 8 मार्च 2009 (10:16 IST)
अफगानिस्तान में अमेरिका के जीत नहीं पाने की बात स्वीकारते हुए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुलह की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत उनके सैनिक तालिबान के नरमपंथी तत्वों से संपर्क करेंगे। यह बहुत कुछ वैसा ही होगा जैसा इराक में सुन्नी लड़ाकों के साथ किया गया था।

न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए गए साक्षात्कार में जब ओबामा से पूछा गया कि क्या अमेरिका अफगानिस्तान में जीत रहा है तो उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा 'नहीं'।

गौरतलब है कि ओबामा ने पिछले महीने ही अफगानिस्तान में 17 हजार अतिरिक्त बलों को भेजने का आदेश दिया था। ओबामा ने इराकी विद्रोहियों को अल कायदा के कट्टर तत्वों से दूर किए जाने से मिली सफलता का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तानी क्षेत्र में कुछ तुलनात्मक अवसर हो सकते हैं। हालाँकि उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में समाधान कुछ जटिल होगा।

एयर फोर्स वन पर शुक्रवार को हुई 35 मिनट की बातचीत में ओबामा ने अपने युवा प्रशासन के समक्ष चुनौतियों की समीक्षा की ओबामा ने अफगानिस्तान और अन्य जगहों पर आतंकवाद के खिलाफ जंग के बारे में विस्तार से चर्चा की।

अखबार के अनुसार ओबामा ने पिछले साल अपने प्रचार अभियान के दौरान तालिबान के कुछ तत्वों को तोड़ने की संभावना तलाशने की बात कही थी। इस पर कुछ सैन्य अधिकारियों ने भी विचार किया था।

लेकिन अब उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मामले में नीतियों की समीक्षा शुरू कर दी है। इसकी मंशा एक नई रणनीति तलाशने की है। उन्होंने संकेत दिया कि सुलह एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। इस रणनीति का इस्तेमाल जनरल डेविड एच पेट्रियस ने इराक में किया था।

उन्होंने कहा यह अल्प शासित प्रदेश है। यहां कबायलियों की स्वतंत्रता का इतिहास रहा है। वहाँ अनेक कबायली हैं। इसलिए उन्हें पहचानना बहुत बड़ी चुनौती होने जा रही है।

अमेरिकी सैन्य योजनाकारों के लिए तालिबान के कुछ सदस्यों तक पहुँचने में काफी जटिलताएँ हैं। अखबार के अनुसार अधिकारियों को यह पता लगाना होगा कि तालिबान के कौन से सदस्य सुलह अभियान की पहुँच में आ सकते हैं।

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