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अमेरिका ने ईरान पर वायरस हमले की योजना बनाई थी?

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सैन फ्रांसिस्को , बुधवार, 27 फ़रवरी 2013 (14:16 IST)
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सैन फ्रांसिस्को। ईरान के परमाणु केंद्रों को ध्वस्त करने के लिए तैयार किए गए स्टक्सनेट वायरस मामले में हुए एक नए खुलासे से पता चला है कि वर्ष 2005 में जब वहां का परमाणु कार्यक्रम बेहद शुरुआती चरण में था तभी से इस वायरस हमले की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई थी।

सायबर सुरक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी सिमेटेक कॉर्पोरेशन के शोधकर्ताओं ने इस वायरस पर मंगलवार को जारी की गई 18 पन्नों की रिपोर्ट में बताया कि इस हमले को अंजाम देने के लिए शुरुआती वायरस वर्ष 2005 में तैयार किया गया था।

इस वायरस को स्टक्सनेट 0.5 का नाम दिया गया है। इसराइल और अमेरिका को इस वायरस को तैयार करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।

कंपनी के शोधकर्ता लियाम ओ मुरखु ने कहा कि यह तथ्य वाकई में आश्चर्यचकित कर देता है कि इस वायरस पर वर्ष 2005 से ही काम चल रहा था। ईरान उस समय अपने परमाणु कार्यक्रम के बेहद शुरुआती चरण में था।

उन्होंने बताया कि इसे ईरान के खिलाफ वर्ष 2007 में सायबर युद्ध में उतार दिया गया था। शोधकर्ताओं ने वायरसग्रस्त कंप्यूटरों में से निकाले गए हजारों वायरसों के बीच में से स्टक्सनेट 0.5 को ढूंढकर निकाला है।

स्टक्सनेट का पता वर्ष 2010 में चला था और यह पहला वायरस था, जो औद्योगिक क्षेत्र को नेस्तनाबूद करने का सामर्थ्य रखता था। इस वायरस का लक्ष्य ईरान के नेन्तांज स्थित परमाणु संवर्धन केंद्र में ईंधन छड़ों तक हेक्साफलोराइड गैस लेकर जाने वाले वाल्वो पर हमला करने का था।

वायरस को इतनी चालाकी से तैयार किया गया था कि यह वैज्ञानिकों की नजरों में आए बिना बड़ी सरलता से अपना काम कर गुजरता।

इस वायरस का वर्ष 2010 में पता लगने के साथ ही शोधकर्ताओं ने इससे मिलते-जुलते कई और खतरनाक वायरसों को भी ढूंढ निकाला जिनमें फलेम डुगु और गौस शामिल हैं। स्टक्सनेट 0.5 को फलेम के कोड पर ही तैयार किया गया है। (भाषा)

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